बुंदेलखंड के तीर्थों और मंदिरों के विकास में उनके सहयोग और प्रेरणा से अनेक कार्य कराने वाली वात्सल्य मूर्ति डॉ. अरुणा जैन का निधन

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जाने माने उद्योगपति और समाजसेवी स्व. डॉ. बाहुबली कुमार जैन की धर्मपत्नी, धर्म एवं समाज में अटूट श्रद्धा रखने वाली वात्सल्य मूर्ति डॉ. अरुणा जैन का उनके ललितपुर स्थित निवास स्थान पर णमोकार मंत्र की वाचना करते हुए 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका सम्पूर्ण जीवन सामाजिक और धार्मिक कार्यों में समर्पित रहा।

बुंदेलखंड के तीर्थों और मंदिरों के विकास में उनके सहयोग और प्रेरणा से अनेक कार्य हुए और बाहुबली नगर, ललितपुर स्थित भव्य जैन मंदिर की स्थापना उनकी और स्व. डॉ. बाहुबली की परिकल्पना और अथक प्रयासों का ही परिणाम है, जहां प्रथम प्राण प्रतिष्ठा और पंचकल्याणक परम पूज्य आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज के आशीर्वाद से और उन्हीं के द्वारा संपन्न कराया गया था। आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज डॉ. अरुणा जी के बारे में कहते थे कि उन्होंने मोक्ष बंध बांध लिया है और वे मोक्ष मार्ग पर अग्रसर हैं । वे यह भी कहते थे कि वे तो मेरे प्राण बचाने वाली मां हैं ।

उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं देते हुए बीमार निर्धनों की निःस्वार्थ निःशुल्क सेवा की। ललितपुर में अपने समय की एकमात्र प्राइवेट महिला चिकित्सक होने के अलावा वे अपने सहज, सरल व्यवहार से सभी की प्रिय और प्रेरणाश्रोत भी रहीं। वे कई सालों तक महिला समिति की अध्यक्ष रहीं और उन्होंने सैकड़ों असहाय महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई जैसे घरेलू व्यवसायों की ट्रेनिंग, मशीनें, जरुरी सामान दिलाकर उन्हें स्वावलंबी बनाया।

ललितपुर, टीकमगढ़ के प्रतिष्ठित पवैया परिवार में धार्मिक, सामाजिक और पारिवारिक संस्कार उन्हें बचपन में ही मिल गए थे जिन्हें उन्होंने सिद्धि परिवार में अपने गृहस्थ जीवन में अपने कार्यों में व्यस्त रहते हुए भी सदैव, अपनी अंतिम सांस तक निभाया और उनका निधन भी मंत्र जाप करते हुए उसी दिव्य अवस्था में हुआ मानो गुरुदेव आचार्य ज्ञानसागर जी की वाणी को सत्य करने के लिए वे मोक्ष मार्ग पर अग्रसर हों । उम्र के अंतिम पड़ाव पर अस्वस्थ शारीरिक अवस्था में भी उन्होंने सहज भाव से अपने नियमों का पालन किया और असाता कर्म का बंध नहीं किया, उनके सहज भाव में उनकी अस्वस्थता की पीड़ा नहीं कर्मनिर्जरा का भाव प्रतीत होता था।

उनका जीवन सेवा, त्याग और तपस्या से परिपूर्ण जीवन रहा। उनके निधन पर परिवार, समाज और विभिन्न संस्थाओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रवणबेलगोला तीर्थ से परम पूज्य कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी जी ने, ज्ञान तीर्थ मुरैना से अनीता दीदी ने उनकी आत्मा की सुगति के लिए मंगल कामना की, राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं शोध संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. जयकुमार उपाध्याय, प्राचीन दिगंबर जैन लाल मंदिर, दिल्ली से चक्रेश जैन, पद्मश्री कैलाश मडबैया, आचार्य ज्ञानसागर इंटरफैथ फाउंडेशन के संयोजक स्वराज जैन (टाइम्स), अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन परिषद के अध्यक्ष चक्रेश जैन और महामंत्री अनिल जैन नेपाल, बुंदेलखंड विकास परिषद के अध्यक्ष डॉ. विजय खैरा, कार्याध्यक्ष अवधेश चौबे, विनय खरे, अंकित जैन, सर्वोदय तीर्थ, धारूहेड़ा के प्रद्युमन जैन, महावीर देशना समिति के अनिल के जैन, इंसार न्यूजमीडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस उर रहमान, गोलापूर्व समाज के अध्यक्ष जिनेश जैन, आई एम ए के डॉ. राजकुमार, बुंदेलखंड विकास बोर्ड सदस्य प्रदीप चौबे, पंचायत समिति के डॉ अक्षय टडैया, शिक्षक संघ के केदार नाथ तिवारी, बुंदेलखंड सेना के हरीश कपूर टीटू, बाहुबली नगर की ममता जैन, जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल जैन अंचल, सुभाष जैसवाल, देवगढ़ कमिटी के अध्यक्ष कमलेश सर्राफ, रजनीश चड्ढा, व्यापार मंडल के नरेंद्र कड़की, ब्राह्मण समाज के सुबोध शर्मा, अखिल भारतीय जैन बैंकर फोरम के अध्यक्ष सनत जैन खजूरिया, रमेश जैन, गौरव जैन, अन्य अनेकों संस्थाओं और व्यक्तिगत संवेदनाओं में उनके अनुकरणीय जीवन के जीवंत प्रसंगों के अनेक संदर्भ भी आए।

जिनेंद्र प्रभु से ऐसी महान चरित्र आत्मा की सुगति के लिए मंगल कामना और प्रार्थना करते हैं ।
…..स्वराज जैन (टाइम्स), 9899614433