4 मार्च 2023/ फाल्गुन शुक्ल दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन
जैन धर्म, क्या आज इतना हल्का, कमजोर हो गया है कि इनके भगवानों, तीर्थंकरों , तीर्थों ,संतो मुनिराजों के बारे में, कोई भी, कैसा भी, कभी भी , कहीं भी, जो मर्जी अपशब्द बोल दे, मजाक बना दे, तिरस्कार कर दे।
कुछ ऐसा ही आज देखा जा रहा है। चंद महीने पहले, यह बात कर्नाटक से शुरू हुई, जब दो संप्रदाय हिजाब और गेरुआ गमछा पहनने पर लड़ गए, जिसका निर्णय अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। बात बिगड़ती गई, पर उस आपसी लड़ाई में भी जैन समाज को बिना कारण, बेवजह, घसीट लिया गया । एक ने कह दिया कि पहले जाओ कर्नाटक के बाहुबली की मूर्ति पर जाकर चड्डी पहनाओ और फिर टीवी पर एक चर्चा के दौरान यह बात कह दी गई कि अगर हम जैन दिगंबर के रूप में स्कूल, कॉलेज में आए तो क्या हमें रोका जाएगा? यानी जिस बात की कोई दूर-दूर तक जरूरत नहीं थी , उस संस्कृति को बेवजह घसीटा जा रहा है ।
यह तो एक छोटी शुरुआत थी। उसके बाद शिखर जी को पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित करने के आंदोलन के दौरान, झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने पहले जन मंच, फिर प्रेस वार्ता में दिगंबर संतो के प्रति अपशब्द बोल कर, उन्हें कपड़े पहनाने की धमकी से नहीं चूकते ।
तो वहीं पूर्व सांसद सालखान शिखरजी टोको को ध्वस्त करने की धमकी तक दे डालते हैं। पर जैन कमेटियां ,जो शीर्ष रूप में है , उनमें से कोई प्रतिकार करने के लिए सामने नहीं आता। क्या आज हमारा समाज, हमारे संस्थान, हमारी कमेटियां, क्या इतनी कमजोर हो चुकी है कि उनसे कोई आशा भी नहीं की जा सकती, कि जब जब हमारे चल ,अचल तीर्थों पर कोई आवाज गलत रूप से उठाएं , गलत बातें करें, तो उसका कसकर विरोध करें। आज समाज के सामने यह बहुत बड़ी शोचनीय स्थिति है।
2 मार्च, दिन गुरुवार, राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता श्री राजेंद्र राठौड़ जैन दिगंबरों के नाम से हमारे पूजनीय संतो पर ऐसी टिप्पणी कर देते हैं, जिस पर हर कोई शर्मसार हो जाए। उन्होंने एक का पक्ष लेते हुए कहा कि एक साल से यह बिना चप्पल के घूम रहे हैं, मुझे इनके साथियों ने बताया कि इन्होंने प्रण ले रखा है कि यह दिगंबर जैन की तरह वस्त्र भी उतारेंगे। उस दृश्य को देखकर मेरी आत्मा कांप जाएगी, जिस दिन मेरा यह छोटा भाई दिगंबर जैन के वस्त्रों में यहां आएगा। इसलिए मैं मांग करता हूं कि मदन जी को दिगंबर जैन मत बनने देना।
क्या प्रतिपक्ष नेता और भाजपा के राजस्थान के बड़े नेता के रूप में, इनसे जैन समाज यह अपेक्षा भी कर सकता है। यह उस राज्य में है, जहां पर जैन समाज की तूती बोलती है और वहां की विधानसभा में ऐसे बिगड़ेल बोल, बोल कर वह सारे सदन को ठहाके लगाने में मशगूल कर देते हैं और जैन समाज की गर्दन झुक जाती है । क्या आज हम अपनी कमेटियों से, बड़े-बड़े श्रेष्ठी वर्गों से कुछ आशा नहीं रह सकते। चैनल महालक्ष्मी आज चिंतित है, इन सब के मौन स्वरूप को देखकर।
गांधीजी के तीन बंदर जरूर थे , उनका आशय अलग था । पर आज अपनी कमेटियों की इन हरकतों को देखकर, आज हम जैन समाज को उन तीन बंदरों के रूप में देखते हैं , जो अपशब्द सुनकर भी मुख नहीं खोलता, जो सब कुछ गलत होते हुए भी आंख नहीं खोलता और जिस पर जितना मर्जी बुरा बोल दो, उसके कान सदा बंद रहते हैं, जग हंसाई होती है। वह अपने तीर्थंकरों, तीर्थों और संतो के बारे में उनके सम्मान और गरिमा पर उठती गलत आवाज को रोकने में, उसके विरुद्ध बोलने में भी शब्दहीन हो जाता है।