क्रोध की न्यूनता व अधिकता से क्षणमात्र में बहुतायत में व्हाइट सैल, रैड सैल में परिवर्तित हो जाते हैं,शरीर का मेटाबोलिज्म डाउन हो जाता है : मुनि श्री अनुमान सागर

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झुकाने नहीं, झुकने का पर्व – क्षमावाणी – मुनि श्री अनुमान सागर

सान्ध्य महालक्ष्मी / जैसे सारी नदियां सागर में आकर विलीन हो जाती हैं, वैसे ही पूरे वर्ष के मनोमालिन्य क्षमापर्व में आकर समा जाते हैं। उस एकत्रित कचरे के 1-1 कण को क्षमावाणी की पावन धारा के तीव्र वेग में प्रवाहित करें – जैसे साल बीतते ही, पुराना कलेन्डर फैंक देते हैं, वैसे ही दिन बीतते ही हमें भी पुरानी बातों, बैर-विरोध की गांठों को फेंक देना चाहिए।

प्राय: पर्वो में खाने-पीने, बधाई, गिफ्ट आदि आदान-प्रदान की प्रधानता रहती है, लेकिन यह पर्व मौजमस्ती का नहीं, अपितु झुकने का पर्व है। व्यक्ति का जब तक अपने भीतर का अभिमान चूर-चूर नहीं हो जाता, तब तक वह अपने से कमजोर, छोटे व्यक्ति से क्षमा नहीं मांग सकता। क्रोध में व्यक्ति विवेक शून्य हो जाता है। दिमागबन्द और मुंह खुल जाता है। तीव्र गुस्से से धमनियों में कैलशियम जमा होने लगता है। रक्तचाप, धड़कन में उबाल आ जाता है। दिमाग की नसें फटने लगती है। दिल का दौरा पढ़ने की संभावना में वृद्धि हो जाती है। क्रोध की न्यूनता व अधिकता से क्षणमात्र में बहुतायत में व्हाइट सैल, रैड सैल में परिवर्तित हो जाते हैं। शरीर का मेटाबोलिज्म डाउन हो जाता है।
जिस खेल को शीतल जल मिलता रहता है, वह सदैव हरा-भरा रहता है। इसके विपरीत पानी ना मिलने से बंजर हो जाता है। बादल जब काले होते हैं, खूब गर्जते हैं, लेकिन बाद में स्वच्छ-निर्मल होकर इन्द्रधनुष सहित प्रगट होते हैं।

भगवान पार्श्वनाथ दस भवों तक कमठ को क्षमा करते रहे, जिसका प्रताप यह है कि आज सबसे अधिक मूर्तियां उनकी ही पूजी जाती हैं।
विश्व में अमेरिका में धन्यवाद दिवस तथा इजरायल में 16 सितंबर प्रायश्चित दिवस इसी क्षमा का प्रारूप है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम जैनों की क्षमावाणी को पूरे विश्व में शांति स्थापित करने का मंत्र मानते थे।
– प्रस्तुति : नरेन्द्र जैन (साड़ी वाले) 24 दरियागंज, नई दिल्ली