13अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल द्वादश /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
हां , यह सही है जो, आप कुछ पोस्टों में पढ़ रहे हैं। 3 दिन से अजमेर समाज इसी धक धक में लगा था कि वह क्या करें, इंदौर का हादसा अभी भी सबके मस्तिष्क पटल पर था और अब उस घटना ने एकाएक सब कुछ ताजा कर दिया। नहीं चाहता था कोई । पर हो गया वही , जो होना नहीं चाहिए था। अजमेर में चैनल महालक्ष्मी की नजर तीन दिनों से पूरे घटनाक्रम पर लगातार है।
अपने को आचार्य पद पर पहुंचाने वाले और वही अनुभव सागर , जिनका ग्रहस्थ नाम अमित कुमार जैन था ।
अनुभव सागर का जन्म 22 जून 1980 को मध्यप्रदेश के बालाघाट में हुआ। पूर्व का नाम अमित जैन था। इन्होंने इंजीनियरिंग इलेक्ट्रिकल्स में की है। 12 सिंतबर वर्ष 2000 को अमरकंटक में आचार्य विद्यासागर महाराज से ब्रह्मचर्य व्रत लिया। और फिर ऐसा सौभाग्य रहा कि मुनि दीक्षा मिली वर्तमान के सबसे वंदनीय संत से 21 अगस्त 2004 को ।, पर जहां अपनी चर्या से इतना गिरे कि आचार्य विद्यासागर जी से हुई दीक्षा छिद गई थी , आचार्य श्री ने कपड़े पहनवाकर घर भिजवा दिया था, दुबारा 25 जुलाई 2012 को मुनि दीक्षा समाधिस्थ आचार्यश्री अभिनन्दनसागर जी ने दी।
उपाध्याय पद की दीक्षा 2 जून 2014 को डूंगरपुर के भीलूडा में हुई। सात जुलाई 2018 को आचार्य पद की दीक्षा मुंबई से ली। आचार्य निजानंद सागर महाराज ने पद प्रदान किया। इन्होंने अब तक स्तुति विद्या वैभव, कर्म का लेख, अंतस वर्गणा, अनुभव, अनुभव भाग एक, अनुप्रेक्षा वैभव, आत्म वैभव, मेरी रामायण, मुझे कुछ कहना है, मेरे अनुभव भाग दो की रचनाएं की है।पांच मुनि दीक्षा दी , तीन आर्यिका, एक शुल्लक और एक शुल्लिका ।
उन्हीं के संघ में एक ने माना कि वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। कई बार पहले भी कर चुके और अजमेर में 3 दिन पहले भी वह हो गया , जो चतुर्विध संघ में कोई, स्वीकार करना तो दूर , सोच भी नहीं सकता। अजमेर समाज को फैसला यही करना था कि उनको चुपचाप कहीं दूर विहार करा दिया जाए और बायकाट कर दिया जाए, या फिर कपड़े पहनाकर विदा कर दिया जाए ।
कल बहुत पावन दिन है, हमारे 24 वे तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक का । पहले उस पावन दिन को उतनी ही पावनता से मनाएं । अहिंसा और जियो और जीने दो, के संदेश को बुलंद करें। हर घर जैन ध्वजा लगाएं। उसके बाद ही कल देर शाम के बाद इस पर चैनल महालक्ष्मी पूरा खुलासा करेगा।
अभी सिर्फ इतना ही। शेष कल रात्रि 8:00 बजे जब हम सब मना चुके होंगे, 2621 वा जन्म कल्याणक अपने 24 वे तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी जी का। उनके मुख से सच्चाई जो इस के पूरे प्रकरण के प्रत्यक्षदर्शी रहे।