09 अक्टूबर 2022/ अश्विन शुक्ल चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
13वे तीर्थंकर श्री विमलनाथ जी के पोन पल्य कम नौ सागर 15 लाख वर्ष बीतने के बाद, अच्युत स्वर्ग के पुष्पोत्तर विमान में आयु पूर्ण कर रहे थे , कि तभी उनकी माला मुरझाने लगी। यह संकेत था कि बस 6 माह और है इस स्वर्ग में , और फिर धरा पर आना है । सौधर्मेंद्र समझ गया संकेत , और उसने कह दिया कुबेर से, जाओ अब तुम्हें अयोध्या के अंदर जाकर रत्न बरसाने हैं महाराजा सिंहसेन के राजमहल पर ।
क्योंकि अब 6 माह बाद महारानी सर्वयशा के गर्भ में यह अनंतनाथ जी के जीव पहुंचने वाले हैं । हां वही दिन था कार्तिक कृष्ण की शुरुआत जिस दिन से होती है । वही एकंम दिन (10 अक्टूबर 2022) , उसी दिन हमारे 14वें तीर्थंकर श्री अनंतनाथ जी स्वर्ग से, इस धरा पर उस राज महल में महारानी के गर्भ में आते हैं, जो कि कुछ पल पूर्व अपने सोलह सपनो का अपने महाराजा से अर्थ जानती हैं। रत्नों की बरसात होती है। बोलिए 14 वे तीर्थंकर श्री अनंतनाथ भगवान जी के गर्भ कल्याणक की जय जय जय
स्वर्ग में देवता की माला मुरझाने लगती है और उधर इंद्र आज्ञा देता है कुबेर को , जाओ अयोध्या में रत्न बरसाओ क्योंकि 6 माह बाद अब तीर्थंकर का वहां जन्म होने वाला है।