आहार दान के पावन अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
आज ही के दिन प्रथम तीर्थंकर ने हस्तिनापुर के राजकुमार श्रेयांस कुमार से इक्षु रस के रूप में प्रथम आहार लेकर, नवधा भक्ति के साथ, इस युग में, आहार की परंपरा शुरू की थी और संकेत कर दिए कि संतों को दिए गए आहार से अक्षय हो जाते हैं।