चतुर्थ काल में जन्मे पहले तीर्थंकर- 22 फरवरी को तीर्थंकर अजितनाथजी का जन्म-तप कल्याणक

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सान्ध्य महालक्ष्मी डिजीटल 
चौथे काल के शुरू होने से 3 वर्ष 8 माह 15 दिन पूर्व सिद्धालय में विराजमान हो गये और उनके 50 लाख करोड़ सागर तथा एक पूर्वांग काल के बाद अयोध्या नगरी में महाराजा जितशत्रु और महारानी विजयसैना के महल में माघ शुक्ल दशमी को कुछ ऐसी मीठी किलकारियां गूंजी की स्वर्ग से सौधर्मेन्द्र धरा पर उतर आया, उस नन्हें तीर्थंकर का मुख देखने और पूरे शरीर पर हजार आंखें बनाकर देखता रह गया। वह बालक आगे बने दूसरे तीर्थंकर श्री अजितनाथ जी, आयु 72 लाख वर्ष पूर्व और कद 450 धनुष।
और फिर 53 लाख पूर्व वर्ष और एक पूर्वांग वर्ष तक राजपाट संभालने के बाद आसमान की बिजली को गिरते देख वैराग्य की भावना बलवती हो गई, संसार नि:सार लगने लगा और आपके साथ हजार और राजाओं ने सेहतुक वन में पंचमुष्टि केशलोंच कर दीक्षा धारण कर ली और वह दिन भी था माघ शुक्ल दशमी यानि जन्म और तप कल्याणक एक ही दिन और वो आ रहा है 22 फरवरी को, आप सभी को हार्दिक मंगल कामनायें, इस त्यौहर को उनके गुणगान के साथ मनायें।