29 जनवरी 2023/ माघ शुक्ल नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ जी के लगभग 50 लाख करोड़ सागर वर्ष के बाद विजय नामक अनुत्तर विमान में आयु पूर्ण कर अयोध्या में महाराज जितशत्रु जी की महारानी विजयसैना जी के गर्भ से दूसरे तीर्थंकर श्री अजितनाथ जी का जन्म, माप काया 27000 फुट ऊंचा कद और आयु 72 लाख वर्ष पूर्व।
पहले 18 लाख पूर्व वर्ष कुमार काल में बीते, फिर 53 लाख पूर्व वर्ष एवं एक पूर्वांग वर्ष तक राजपाट संभाला। फिर एक दिन राजमहल की छत पर काले बादलों के बीच बिजली का चमक कर गिरना, क्षण में नष्ट होना, संसार से विरक्ति का कारण बना। ठीक इसी तरह यह जीवन है, बस यही सोचकर, चल दिये राजपाट छोड़ वैराग्य की ओर। और माघ शुक्ल दशमी को ही सायंकाल में रोहिणी नक्षत्र में सेहतुकवन में देवों द्वारा पालकी से पहुंच गये। पंचमुष्टि केशलोंच कर कायोत्सर्ग मुद्रा में तप धारण कर लिया। आपके इस उत्तम मार्ग पर बढ़ते देख एक हजार अन्य राजाओं ने भी दीक्षा ग्रहण कर ली। 12 वर्षों तक कठोर तप के बाद आपको केवलज्ञान की प्राप्ति हुई।
20 तीर्थंकरों के जन्म-तप कल्याणक एक ही दिन आते हैं। सभी 24 तीर्थंकरों के जन्म से पहले 15 माह तक सुबह-दोपहर-शाम तीनों पहरों में सौधर्म इन्द्र की आज्ञा से कुबेर माता -पिता के राजमहल पर साढ़े तीन करोड़ रत्नों की लगातार वर्षा करता है। सभी कल्याणकों को मनाने सौधर्म इन्द्र आता है, पर मूल शरीर से कभी नहीं, अन्य रूप बनाकर आता है।
बोलिये तीर्थंकर श्री अजितनाथजी के जन्म-तप कल्याणक की जय-जय-जय।