पौष शुक्ल एकादशी , यानी इस वर्ष 24 जनवरी को, ज्ञान कल्याणक पर्व है दूसरे तीर्थंकर श्री अजीतनाथ जी का , जिनोहने 12 वर्ष के तप के बाद , अयोध्या में सहेतुक् वन में, सप्तवर्ण वृक्ष के नीचे , सांय काल में ,केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई । आप के 90 गण धरों में , मुख्य गणधर श्री सिंह सेन थे ।
अजितनाथ तीर्थंकर परिचय-
⭐पिता:अयोध्या के इक्ष्वाकुवंशी काश्यपगोत्रीय राजा जितशत्रु
⭐माता: रानी विजयसेना
⭐शरीर की ऊंचाई: ४५० धनुष्य, सुवर्ण वर्ण शरीर
⭐केवलज्ञान कल्याणक स्थान:अयोध्या में सहेतुक वन, केवलवृक्ष:सप्तपर्ण
⭐केवलनक्षत्र:रोहिणी, केवलोत्पत्ति काल:अपराह्न
⭐समवसरण भूमि:११.५ योजन,
⭐गणधर संख्या: ९०, मुख्य गणधर:सिंहसेन
⭐ऋषिसंख्या:१०००००, आर्यिका संख्या:320000, मुख्य आर्यिका:प्रकुब्जा
⭐श्रावक:३०००००, श्राविका:५०००००
⭐यक्ष:महायक्ष, यक्षिणी:रोहिणी.
केवलज्ञान का अर्घ्य:-
“सप्तपत्रतरु तल धर ध्यान, घात घाति ले केवलज्ञान।
समवसरण में प्रभु राजंत, पौष पूर्णिमा इंद्र जजंत।।
बोलिए , तीर्थंकर श्री अजीत नाथ के केवलज्ञान कल्याणक की जय
श्री अजितनाथ भगवान के चरणों में कोटी कोटी प्रणाम