मुनि श्री आदित्य सागरजी को बाहर निकलने पर देख लेने की धमकी ॰ मंदिर की दीवारों के बीच झांसी की रानी बनते हैं, और बाहर?

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॰ मंदिर के भीतर हल्दीघाटी जैसे युद्ध को तैयार रहते हैं, पर बाहर मुख से आवाज नहीं निकलती
॰ मामला थाने पहुंचा, बड़ी मौन रैली ॰ फिर पूरा समाज हुआ शर्मसार
30अक्टूबर 2024/ कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /

रविवार 27 अक्टूबर को सायं में कोटा के रिद्धि सिद्धि नगर के श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि श्री आदित्य सागरजी जैन श्रावकों की शंकाओं के उत्तर दे रहे थे, कि तभी एक महिला उनकी तरफ बढ़ती है। पिच्छी-कमण्डल छीनने की कोशिश करती हैं, उनसे अपशब्द बोलती हैं – ‘यहां से जाओ, आप होते कौन हैं…’ एक क्षण को सब हक्के बक्के रह जाते हैं। कुछ हाथ मुनिश्री की ओर बढ़ने लगते हैं और इसके बाद उस परिसर में गाली-गालौच मारपीट का सिलसिला शुरू हो जाता है।

यह जानकारी दी दादाबाड़ी मंदिर से जुड़े अजय जैन जी ने चैनल महालक्ष्मी को। अशोक जी सावला (ट्रस्टी) से सम्पर्क की कोशिश की गई, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकमजी पाटनी से सम्पर्क करने पर पता चला कि शाम को समाज की मीटिंग में अभी व्यस्त हैं। कोटा के सकल दि. जैन समाज के विमल जी का फोन भी नहीं उठा।

कंहाड़ी के रिद्धि सिद्ध नगर का यह मंदिर 2003-04 में बना। यहां तीन वेदी हैं। मूल वेदी में तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभु की अष्टधातु की पदमासन प्रतिमा विराजमान है। यहां मुनि श्री आदित्य सागरजी ससंघ का चातुर्मास चल रहा है। दो माह पहले समाज ने फैसला किया कि मूल वेदी को चांदी का कर दें। इसके लिये समाज ने सौ किलो से ज्यादा चांदी बोल भी दी थी। यहां लगभग 400 जैन घर हैं।

अजय जैन ने चैनल महालक्ष्मी को बताया कि रविवार को सुबह 8 बजे के बाद मूल वेदी की प्रतिमाओं को अस्थायी वेदी में स्थानांतरित कर दिया गया। उसके बाद संतों की आहारचर्या हुई। सामायिक, स्वाध्याय के बाद शाम को प्रश्नोत्तर के कार्यक्रम में अचानक वह हादसा हो गया, फिर थाने में दोनों ओर से वेदी विवाद को लेकर शिकायत पहुंची। सोमवार को सैकड़ों की संख्या में थाने में पहुंचे, फिर मंदिर से थाने तक मौन रैली निकाली।

मुनि श्री आदित्य सागरजी ने इस शर्मसार घटना पर समाज को स्पष्ट रूप से कार्यवाही करने को कहा। उन्होंने स्पष्ट बताया कि साधु के लिए बोल देना – निकलकर दिखाओ, देखते हैं जरा। अरे भइया, जो सबकुछ छोड़ आये हैं, उनको कोई डर नहीं लगता और जो सच्चे साधु हैं, उनके साथ इंसान ही नहीं, देव भी रहते हैं, तुम चिंता नहीं करना। मूंछे दिखाकर कहते हैं कि नगर में कैसे आते हो, चातुर्मास कैसे करते हो? जो, स्वयं गुरु की मौजूदगी में इस प्रकार के कृत्य कर सकते हैं, गुरु तक पर हाथ उठाने तक की तैयार हो सकते हैं, ऐसे लोगों को समाज से निकाल देना चाहिये।

उन्होंने कहा कि जरा सोचिये, अगर चातुर्मास के बीच में साधु से कह दिया जाये कि मंदिर हमारा है, खाली कर दो, साधु कहां जाएगा? लेकिन ध्यान रखना कि जहां रावण होगा, वहां राम और हनुमान भी होंगे। लेकिन मैंने एक चीज देखी है, राजस्थान में पिछले 10-15 सालों में, जो भी साधु आते हैं अच्छी प्रभावना होती है। उन से चार छह लोग निंदा करते हैं, भगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन डरने का नहीं। डराएगा, पर डरने का नहीं, भगाते हैं, पर भगने का नहीं। इनके कारण पूरी समाज बदनाम होती है। समय विपरीत आता है, परेशानी सब पर आती है, कुछ बिखर जाते हैं, कुछ निखर जाते हैं।

मुनि श्री ने स्पष्ट कहा कि हम दुर्जन लोग नहीं, सज्जन लोग हैं, जो समाज की एकता चाहते हैं। धिक्कार है उन लोगों को जिनके कारण जैन समाज की महिलाओं को सड़कों पर उतरना पड़ता है। जिन की समाज में साधु आते हैं, वे लड़ाई करते हैं, झगड़ा करते हैं, साधुओं को परेशान करते हैं। प्रयास करते हैं, वो रोएं और भाग जायें। अभी पहले एक साधु को पीट दिया। कैसे अहिंसक हो, कायर हो क्या? वहां की समाज एक्टिव हुई, उनको दण्ड दिया। उन उद्दण्डियों को मारा पीटा नहीं गया, समाज से निष्कासित किया गया कि कोई उनसे रोटी-बेटी का व्यवहार नहीं करेगा। जो व्यक्ति समाज से हटकर चलेगा, विघटन पैदा करेगा, उसको समाज से बहिष्कृत कर देना चाहिये। समाज के बड़े पदाधिकारी इस पर कोई एक्शन नहीं लेते, आप समाज की ओर से पत्राचार करें और जिन लोगों ने कृत्य किया है, यहां भी फोटो, वीडियो, कैमरे हैं हीं, उन लोगों को समाज से पत्र सहित निष्कासित किया जाये। इनके यहां समाज का कोर्ई भी व्यक्ति रोटी-बेटी का व्यवहार न करे, आने वाली नस्लें खराब हो जाएंगी।

इस बारे में पूरी जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 2943 में देख सकते हैं।