तीर्थंकर श्री आदिनाथ -10 खास बातें-. अनोखी जोड़ी, राजनीति ही नहीं, धर्म में भी परिवारवाद, पिता सेर, बेटा सवा सेर, समय से पहले, जल्दी जल्दी जन्म-मोक्ष

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25 मार्च 2022//चैत्र कृष्णा अष्टमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

चैत्र कृष्ण नवमी, हां यही वह दिन है जब प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभनाथ जी का अयोध्या की तत्कालीन महारानी मरुदेवी के गर्भ से जन्म हुआ था। कर्मभूमि पर असि मसि आदि द्वारा जीवन यापन की शिक्षा देने वाले आप ही थे। सबसे ज्यादा 84 लाख वर्ष की आयु, सबसे ज्यादा कद 3000 फुट, सबसे ज्यादा तप 1000 वर्ष आदि के साथ इस हुण्डावसर्पिणी काल में आप चतुर्थकाल की बजाय तीसरे काल में ही जन्म लेकर मोक्ष को प्राप्त हुये। आपन ेसबसे अधिक 63 लाख पूर्व वर्ष तक राज किया। आपकी दो रानियां व तीर्थंकर परम्परा से हटकर दो पुत्रिया भी थीं। राजसभा में एक दिन अप्सरा नीलांजना का नृत्य करते आयु पूर्ण होता देख वैराग्य की भावना बलवती हुई। आपके दो पुत्र आपसे पहले मोक्ष गये और आपका एक पोता (मरीचि) आगे जाकर 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी बने।
आज 99 फीसदी लोग यही समझते हैं कि जैनों की संस्कृति महावीर स्वामी से शुरू हुई। कारण हमने अपने 24 तीर्थंकरों को इतना जन-जन में प्रचारित नहीं किया। आज वो दस खास बातें, जो आपमें से कई नहीं जानते होंगे:-

1. राजनीति ही नहीं, धर्म में भी परिवारवाद – पिता से पोते तक
राजनीति में कहा जाता है कि मुलायम सिंह जी का कुनबा ऐसा है, जहां एक समय 50 के लगभग सांसद, विधायक या पार्षद रहे, अब भी 25 तो होंगे ही। वही धर्म के क्षेत्र में बात करें, तो प्रथम तीर्थंकर का परिवार सबसे अनोखा रहा। स्वयं तीर्थंकर बने और उनका पोता करोड़ों-करोड़ों वर्षों बाद भव-भव से गुजरता 24वां तीर्थंकर बना। चौथे काल में तीर्थंकर होंगे, उस नियम को तोडा, आप तीसरे काल में ही मोक्ष चले गये। और आपके बेटे-बेटी पोते भी चले मोक्ष की राह।

2. पिता सेर, बेटा सवा सेर
कहावत तो सुनी होगी आपने, पिता सेर, बेटा सवा सेर। यानि पिता से बेटा आगे निकल जाये, तो फक्र तो होगा ही, बस यही हुआ। प्रथम तीर्थंकर से पहले ही उनके पुत्र अनंतवीर्य मोक्ष गये और फिर बाहुबली भी उनसे पहले सिद्धालय पहुंच गये।

3. पहचान – सबसे ज्यादा नाम
सभी जानते हैं 24वें तीर्थंकर के 5 नाम – वीर, महावीर, अतिवीर, सन्मति, वर्धमान और 9वें तीर्थंकर के दो पुष्पदंत और सुविधिनाथ, पर पहले तीर्थंकर के छह नाम थे, शायद आप भी नहीं जानते होंगे – ऋषभनाथ, आदिनाथ, पुरुदेव, आदि, ब्रह्मा और प्रजापति। वैसे इन्द्र सभी तीर्थंकरों की 1000 नामों से स्तुति करता है।

4. ऊंचे-ऊंचे – बहुत ऊंचे
कितना कद है आपका 5 से 7 फुट के बीच, वैसे महावीर स्वामी का था साढ़े दस फीट। पर पहले तीर्थंकर का कद था 500 धनुष, यानि 2000 हाथ या फिर 3000 फुट। कुतुब मीनार भी 240 फुट ऊंची है। एक के ऊपर एक, 12 बार बड़ी कर दो उससे भी ज्यादा। वैसे इन्हीं के बेटे बाहुबली तो इनसे भी 150 फुट ज्यादा ऊंचे कद के थे।

5. उम्र इतनी कि केलकुलेटर भी हो जाये फेल
कितनी उम्र होती है आज 100 बरस, वैसे 24वें तीर्थंकर 72 और 23वें पारस 100 बरस के थे। पर आदिनाथ जी की उम्र थी 84 लाख पूर्व वर्ष, आप सोचेंगे, ये तो केलकुलेटर में आ ही जाएगा। पर एक पूर्व जानते हैं? ये होता है 84 लाख पूर्वांग के बराबर और एक पूर्वांग 84 लाख वर्ष के बराबर, अब केलकुलेटर पर लिखिये 84 लाख गुणा 84 लाख गुणा 84 लाख। बस हो गया ना केलकुलेटर फेल। इतनी लम्बी उम्र, क्या सोचने लगे आप!

6. तप इतना, बाकी सबका मिलाकर भी नहीं उतना
बेटे भरत ने 48 मिनट में ही केवलज्ञान प्राप्त कर लिया, वहीं तीर्थंकरों में मल्लिनाथ जी ने मात्र 6 दिन में। अगर शेष सभी 23 तीर्थंकरों के तप को एकसाथ जोड़ भी लें, तो उन सबसे कहीं ज्यादा, दोगुने से भी ज्यादा समय तप किया, आदिनाथ जी ने। जी हां, पूरे एक हजार वर्ष।

7. आपके साथ, सबसे ज्यादा साथ
महावीर स्वामी अकेले, तो कई के साथ 1000 अन्य भी दीक्षा को चल दिये, पर आपके साथ तो चले सबसे ज्यादा चार हजार, पर आपकी तरह कोई तप नहीं कर पाये। आपने 6 माह कायोत्सर्ग तप का संकल्प लिया, पर शेष 2-3 माह में ही भूख-प्यास से व्याकुल हो, पथभ्रष्ट हो गये।

8. पिता-पुत्र की अनोखी जोड़ी
किसी भी तीर्थंकर के साथ उनके एक या दो बेटों की मूर्तियां नहीं दिखेंगी, पर आपके सभी पुत्र सिद्धालय गये, और आपके साथ दो पुत्रों- भरत और बाहुबली की भी प्रतिमायें मिलती हैं। किसी भी तीर्थंकर से अलग परिवार। बाहुबली भगवान की श्रवणबेलगोला आदि और भरत की दिल्ली सहित कई क्षेत्रों में अलग भी दिखती है।

9. सबसे अलग – तीर्थंकर के दो पुत्री
5 तीर्थंकर बाल ब्रह्मचारी रहे और 18 ने विवाह किया, पर किसी के पुत्री नहीं होती, वहीं प्रथम तीर्थंकर के ब्राह्मी और सुंदरी दो बेटी हुई, दोनों आर्यिका बनीं। आप ही की केवल दो रानी थी – नंदा और सुनंदा। वैसे 16,17, 18वें यानि शांतिनाथ जी, कुंथुनाथ जी और अरनाथ जी की 96-96 हजार रानियां थीं।

10. समय से पहले, जल्दी जल्दी जन्म-मोक्ष
नियम है कि सभी 24 तीर्थंकरों का जन्म और मोक्ष चौथे काल में ही होता है, पर इस हुण्डा अवसर्पिणी काल के कारण आपका जन्म ही नहीं, मोक्ष भी तीसरे काल में हो गया। सब जल्दी-जल्दी।

है ना दस खास बातें, जो औरों तक पहुंचाये अब आप