इस काल के प्रथम तीर्थंकर , श्री आदिनाथ जी , श्री वृषभ नाथ जी , श्री ऋषभ नाथ जी , श्री प्रजापति जी, श्री आदि ब्रह्मा जी, श्री पुरुदेव जी आदि, अनेक नामों से जाने जाने वाले, असि, मसि, कृषि आदि का उपदेश देने वाले , अयोध्या में महारानी मरु देवी के गर्भ में, इसी आषाढ़ कृष्ण द्वितीया को , जो 26 जून को है , अनुदिश विमान में आयु पूर्ण करने के बाद आए। अयोध्या में जन्मे तथा हुंडा अवसर्पिणी काल के कारण तीसरे काल में ही जन्म लेकर, मोक्ष पाने वाले, प्रथम तीर्थंकर ने ही भोग भूमि से कर्मभूमि को बदलते हुए, सभी लोगों को उपदेश दिया ।
आपकी आयु 8400000 वर्ष पूर्व थी। यह आयु छोटी नहीं बहुत ही बड़ी है। एक पूर्व 8400000 पूर्वांग के बराबर होता है और एक पूर्वांग 8400000 वर्ष के बराबर , यानी आपकी आयु 8400000 गुना 8400000 गुना 8400000 वर्ष की । इतनी आयु की गणना, सामान्य केलकुलेटर भी नहीं कर पाता। आपका कद 3000 फुट ऊंचा था, यानी दिल्ली में खड़ी कुतुब मीनार को एक के ऊपर एक 12 बार खड़ा कर दें, तो भी उससे ऊंचा ।
आपने 1000 वर्ष तक किया, यानी सबसे ज्यादा तप। आपके जेष्ठ पुत्र भरत, जिनके नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा , ने मात्र अंतर मुहूर्त तप करके ही केवल ज्ञान की प्राप्ति कर ली थी। वे चक्रवर्ती होकर भी घर में ही बैरागी थे। आप के 2 पुत्र, आपसे पहले सिद्धआलय चले गए और आपका पोता मारीच, ने 24 वे तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के रूप में करोड़ों भव के बाद जन्म लिया।
बोलिए प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान की जय , जय, जय।