14 जून 2022/ जयेष्ठ शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
जी हां , आषाढ़ शुक्ल द्वितीया , वह दिन , जब इस हुंडा अवसर्पणी काल के प्रथम तीर्थंकर के गर्भ कल्याणक का शुभ अवसर है और वह दिन है 16 जून, यानी जब हमारे प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ जी , अयोध्या नगरी में तत्कालीन महाराजा श्री नाभिराय जी की महारानी मरुदेवी के गर्भ में आए। जिन्हें तीर्थंकरों में प्रथम होने से उन्हें आदिनाथ कहा जाता है, या यूं कहें युग के आदि में होने से उन्हें आदिनाथ कहा जाता है ।
और युग के आदि में दीक्षा लेने और ऋषि समूह के नायक , स्वामी होने से उन्हें ऋषभ ।नाथ कहा जाता है । वृष धर्म को कहते हैं , धर्म का उपदेश देने तथा धर्म को धारण करने के कारण वे धर्मनाथ देव भी हुए , अतः उन्हें ऋषभदेव भी कहते हैं ।
भगवान प्रथम केवल ज्ञानी थे , समोशरण में उनके चारों दिशाओं में मुख दिखने से उन्हें आदि ब्रह्मा भी कहते हैं। क्योंकि आदिनाथ भगवान ने प्रजा को असि मसी आदि क्रियाओं का उपदेश देकर पालन किया था , इसलिए उन्हें प्रजापति भी कहते हैं।
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को अयोध्या नगरी में माता मरुदेवी के गर्भ में आए और यह इस काल का पहला कल्याणक है।
उनकी आयु 84 लाख वर्ष पूर्व थी और कद था 500 धनुष । बोलिए प्रथम तीर्थंकर के प्रथम कल्याणक, गर्भकल्याणक की जय जय जय l