महातपस्वी साधक आचार्य श्री विमदसागर जी महाराज- शेकडो ग्रन्थो का सृजन, कठोर साधना, पाँच रसों के आजीवन त्याग

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सभी इंदौर वासियों के पुण्योदय से गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के परम प्रभावक सुयोग्य शिष्य परम् पुज्य आचार्य श्री विमदसागर जी महाराज ससंघ 4 पिच्छीधारी संत श्री दिगम्बर जैन मंदिर गुमास्ता नगर इंदौर में विराजमान है

आचार्य श्री विमदसागर जी महाराज ने अपनी लेखनी के माध्यम से शेकडो ग्रन्थो का सृजन किया है
आचार्य श्री एकान्तर उपवास (एक दिन आहार एक दिन उपवास) कठोर साधना कर रहे है
आचार्य श्री ने नमक, शक्कर, तेल, दूध एवम दही इन पाँच रसों के आजीवन त्याग का संकल्प किया है
गुमास्ता नगर समाज का महापुण्य है कि गुरु सेवा का पुण्य लाभ मिल रहा है
शहर की अनेक कालोनियो एवम मंदिर जिनालयों के पदाधिकारियों ने आचार्य श्री को श्रीफल भेंटकर अपनी कालोनी एवम क्षेत्र पर धर्म प्रभावना हेतु सानिध्य प्रदान करने का निवेदन कर रहे है
लेकिन वतर्मान समय के मध्य नजर गुमास्ता नगर समाज ने आचार्य भगवन को यही पर विराजमान रहने का निवेदन किया एवम आचार्य श्री ने स्वीकृति प्रदान कर समाज को धन्य किया
आचार्य संघ की समस्त दैनिक क्रियाये सानन्द सम्पन्न हो रही है
गुमास्ता नगर के पदाधिकारी, समाजजन, युवा वर्ग एवम महिला वर्ग सभी आचार्य संघ के पावन सानिध्य में धर्म लाभ अर्जित कर रहे है
मंदिर जी मे सभी भक्त कोरोना प्रोटोकाल का पालन कर रहे है
आचार्य श्री का वात्सल्य इतना गहरा है कि जो भी एक बार दर्शन कर लेता है उसका मन बार बार गुरु दर्शन के लालायित रहता है
धन्य है इंदौर की गुरु भक्त समाज जिन्हें ऐसे महातपस्वी साधक आचार्य श्री का पावन सानिध्य मिल रहा है