18 मई : बैसाख शुक्ल षष्ठी : चौथे तीर्थंकर श्री अभिनंदननाथ जी का गर्भ – मोक्षकल्याणक

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तीसरे तीर्थंकर श्री संभवनाथ जी के नौ लाख करोड़ सागर वर्ष के पश्चात् अयोध्या नगरी में महाराजा श्री स्वयंवर की महारानी श्री सिद्धार्थ देवी जी के गर्भ से बैसाख शुक्ल षष्ठी को आये।

आपकी आयु 50 लाख वर्ष पूर्व, कद 2100 फुट ऊंचा था। गर्भ में आने के छह माह पूर्व ही सौधर्मेन्द्र की आज्ञा से कुबेर सुबह-दोपहर-शाम रोजाना तीन-तीन बार साढ़े तीन करोड़ रत्नों की बरसात शुरू कर दी, जो आपके जन्म तक चली, यानि 15 माह लगातार।

और गर्भकल्याणक के दिवस ही, यानि बैसाख शुक्ल षष्ठी से एक माह पूर्व आप, पावन तीर्थ श्री सम्मेदशिखरजी पहुंच गये, और फिर बैसाख शुक्ल षष्ठी को आनंद कूट से पूर्वाह्न काल में एक हजार राजाओं के साथ सिद्धालय मात्र एक समय में पहुंच गये।

इसी कूट से 72 कोड़ा कोड़ी 70 करोड़ 70 लाख 700 मुनिराज मोक्ष गये हैं।

इस कूट की निर्मल भावों से वंदना करने से एक लाख उपवास का फल मिलता है।