6 मई 2022/ बैसाख शुक्ल पंचमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
तीसरे तीर्थंकर श्री संभवनाथ जी के 90 लाख करोड सागर बीतने के बाद, विजय नाम के अनुत्तर विमान में आयु पूर्ण कर , वैशाख शुक्ल षष्ठी को, जो इस बार 7 मई को है । उसी दिन अयोध्या नगरी के महाराजा स्वयंवर की महारानी सिद्धार्था देवी के गर्भ में आए । आपका कद 1400 हाथ यानी 2100 फुट ऊंचा था। आपकी आयु 50 लाख वर्ष पूर्व थी।
आपके गर्भ में आने से 6 माह पहले से ही, सोधर्म इंद्र की आज्ञा से , कुबेर ने दिन के तीनों पहर में रत्नों की बरसात शुरु कर दी थी, यानी हर पहर में साढ़े 3 करोड़ रत्न ।
जब आपकी आयु एक माह शेष रह गई, तो आप श्री सम्मेद शिखरजी की आनंद कूट पर पहुंचे। जहां 1 माह के भोग निवृत्ति काल के बाद, उसी वैशाख शुक्ल षष्ठी को आनंद कूट से 1000 महामुनिराज के साथ , पूर्वाहन काल में , सिद्धालय विराजमान हो गए। इसी आनंद कूट से 73 कोड़ा कोड़ी 70 करोड़ 70 लाख 700 मुनिराज भी मोक्ष गए हैं। कहां जाता है इसकी निर्मल भावों से वंदना करने से , एक लाख प्रोषध उपवास का फल मिलता है।
बोलिए, चौथे तीर्थंकर श्री अभिनंदन नाथ भगवान जी के गर्भ कल्याणक और मोक्ष कल्याणक की जय जय जय।