मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी कुंडलपुर को पावन क्षेत्र घोषित करने के लिए धन्यवाद, पर गोपाचल पर्वत पर जैन प्रतिमाओं का अपमान क्यों

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दिनांक: 27 फरवरी 2022

श्री शिवराज सिंह चौहान जी,
माननीय मुख्यमंत्री,
मध्य प्रदेश शासन,
मुख्यमंत्री कार्यालय,अरेरा हिल्स, एम पी नगर, जहांगीराबाद,
भोपाल-462008

विषय -आपके द्वारा कुंडलपुर को पावन क्षेत्र घोषित करने के लिए धन्यवाद व
दूसरी ओर जैन प्रतिमाओं के हो रहे अपमान पर उचित कार्यवाही हेतु

माननीय महोदय,

जिस संत को नमन करके आप अपने भोपाल निवास से बाहर निकलते हैं, जिन संत की छवि से उठता आशीर्वाद रूपी हाथ आपकी हर समस्या का निदान कर देता है। उन्हीं वंदनीय संत, सभी के गुरू आचार्य श्री विद्यासागर सभी के बड़े बाबा आदिनाथ जी की एक 57 फुट प्रतिमा ग्वालियर के गोपाचल पर्वत पर उरवाई घाट पर ऊपर बने सिंधिया स्कूल के नीचे 700 वर्ष से खड़ी है। इस स्कूल से गंदे पानी की उचित निकासी व्यवस्था नहीं है, जिससे स्कूल से सारा गंदा पानी इसी गोपाचल पर्वत पर सदियों पुरानी भगवान की प्रतिमाओं, प्राचीन पुरातत्त्व के रूप में दर्ज जैन तीर्थंकरों (भगवानों) पर पड़कर देश के ही नहीं, विश्व के धर्म प्रेमियों को अपमानित कर रहा है।

अभी हाल में आप कुडलपुर में बड़े बाबा के दर्शन करने गये थे, आपने अनेक बार देखा होगा कि जैन समाज भगवान की प्रतिमाओं पर केवल शुुद्ध वस्त्र पहनकर प्रासुक (शुद्ध) जल से ही अभिषेक करता है और ये प्रतिमायें मन्दिर में छत्त के नीचे या खुले में (जैसे श्रवणबोलगोल में बाहुबली स्वामी) हो, जिनसे छूकर, वह जल गंधोदक बन जाता है और मस्तक पर उसे लगाकर लोग शांति व आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं।

जहां दूसरी ओर इसी गोपाचल पर्वत में इन प्रतिमाओं के दर्शन के लिये जूते पवित्रता बरकरार रखने हेतू चप्पल तक उतारकर जाने का नियम है, वहीं गोपाचल पर्वत पर स्कूल के नीचे इस तरह अपमान असहनीय है।

भगवान कोई भी हों ऋषभनाथ जी हो या महावीर स्वामी, श्रीकृष्ण जी हों या श्रीराम जी, सभी का आदर करना 130 करोड़ भारतीय अच्छी तरह जानते हैं। पर गोपाचल पर्वत पर इस स्कूल का गंदा पानी, इन ऐतिहासिक धरोहरों भगवान की प्रतिमाओं पर पड़कर भगवान का निरादर व धार्मिक भावनाओं का अपमान कर रहा है। क्या इस तरह निरादर कर, इन बच्चों को क्या शिक्षा दी जा रही है। बाबर ने तो 1557 में बाहर से आकर निरादर किया था, पर आप तो स्वतंत्र धर्ममय भारत में निरादर कर रहे हैं।

आपसे विनम्र अनुरोध है कि निकासी की तत्काल उचित व्यवस्था कर अहिंसक-शांतिमय जैन समाज ही नहीं, वरन पूरे धार्मिक समाज की भावनाओं का मान रखें।

भगवान की प्रतिमाओं का अपमान, कैसे सहेगा, धर्ममय हिन्दुस्तान,
उचित कार्यवाही कर अनुग्रहित करें,
भवदीय
(शरद जैन)
महामंत्री

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