संसार में कितनी भी आत्माएं आएं, कितनी भी प्रतिकूलताएं आएं, अगर कोई सोच ले कि मैं इस कार्य को पूर्ण करना चाहता हूं, तो वहां से जवाब आता है हां…हां…कर लो: आचार्यश्री

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कुण्डलपुर महामहोत्सव के तप कल्याणक पूर्व रूप के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। देशभर से यहां पर जैन समाज के लोग पहुंचे।

इस बीच पंडाल में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने भक्तों को दिव्य देशना प्रदान की। उन्होंने कहा कि संसार में कितनी भी आत्माएं आएं, कितनी भी प्रतिकूलताएं आएं, अगर कोई सोच ले कि मैं इस कार्य को पूर्ण करना चाहता हूं, तो वहां से जवाब आता है हां…हां…कर लो। हाथ उठाया और बजाया इससे कुछ नहीं होता, दूसरे की परीक्षा लेने से पूर्व खुद परीक्षा देनी पड़ती है, एक समय बाद परीक्षार्थी कहता है कर लो, कर लो, क्या परीक्षा करोगे, बाहर से भी और अंदर से भी निरीक्षण हो चुका है,

बड़े बाबा को बड़े सिंहासन के ऊपर बिठाना था, हजारों वर्ष से पहले नीचे थे, भीतर थे, जहां पहले प्रकाश की व्यवस्था भी नहीं थी, अखंड दीप रखे रहते थे और जैसे राम को शबरी यूं यूं देखती थी, ऐसे सारे सारे भक्त बड़े बाबा को यूं यूं देखते थे,

भक्तों से पूछा कि अब आप ही बताओ बड़े बाबा के दर्शन कैसे हो रहे हैं, अब बड़े बाबा पास से ठीक नहीं लगते, वह दूर से ठीक लगते हैं और जो व्यक्ति दूर से आए हैं उनको मैं पहले से ही संकेत देता हूं बड़े बाबा दूर से ही सबके लिए आशीर्वाद दे रहे हैं।