कोपरगाँव में आर्यिका श्री चैतन्यमति माताजी ने आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के निर्यापकत्व में यम सल्लेखना धारण की

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कोपरगाँव में आर्यिका श्री चेतन्य मति जी ने नियापकाचार्य वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी एवम संघ समक्ष 14 फरवरी 22 को यम सल्लेखना अंगीकार की

सांसारिक मार्ग को छोड़, मुक्ति की ओर बढ़ने वाले, दीक्षा लेकर दूसरा जीवन शुरू करने वाले , मोक्ष मार्गी, हमारे संत जन अपने जीवन में अंतिम अभिलाषा सल्लेखना की रखते हैं ।

जब आयु कर्म क्षीण हो जाता है या कोई असाध्य रोग से ग्रस्त हो जाते हैं , तब वे यम सल्लेखना को ग्रहण कर अपने इस जीवन को सर्वोच्चता की ओर तथा अंतिम लक्ष्य पाने की भावना भाते हैं।

इसी तरह कोपरगांव में विराजमान आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के संघ में आर्यिका श्री चैतन्य मति माताजी ने कल, सोमवार, 14 फरवरी को दोपहर में आचार्य श्री के निर्यापकत्व में चारों प्रकार के आहार पानी का त्याग कर यम सल्लेखना धारण कर ली है।

उत्तम मार्ग पर अपने लक्ष्य की ओर बढ़े, चैनल महालक्ष्मी मां और सांध्य महालक्ष्मी हृदय से यही भावना आता है ।

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