वैक्सीन के साइड इफेक्ट से हुई बेटी की मौत, बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर 1000 करोड़ के मुआवजे की डिमांड

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, केंद्र सरकार : दुष्प्रभाव या अप्रिय घटना होने पर मुआवजे का प्रावधान नहीं

*महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक मामला सामने आया है। जहां एक शख्स ने दावा किया है कि उसकी बेटी की मौत कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट से हुई है। बेटी की मौत को लेकर वो बॉम्बे हाई कोर्ट भी पहुंच गया है और “1000 करोड़ रुपए” के मुआवजे की मांग कर दी है।*

औरंगाबाद निवासी ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर महाराष्ट्र सरकार, केंद्र और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से 1000 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है। शख्स की ओर से कोर्ट के सामने दावा किया गया है कि उसकी बेटी जो कि एक मेडिकल छात्रा थी कोविशिल्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण मर गई। वैक्सीन उसे पिछले साल जनवरी में दी गई थी।

कोरोना से बचाव के लिए इस्तेमाल की जा रही वैक्सीन से मौत का मामला अदालत पहुंच गया है। औरंगाबाद निवासी दिनेश लूनावत ने अपनी डॉक्टर बेटी की मौत के लिए महाराष्ट्र सरकार, केंद्र सरकार, दवा नियामक डीसीजीसी, बिल गेट्स फाउंडेशन और वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से 1000 करोड़ रुपए मुआवजा मांगा है। पिता का दावा है कि उनकी बेटी की मौत कोविशील्ड के साइड इफेक्ट की वजह से हुई। पिछले साल 28 जनवरी को डॉ. स्नेहल ने कोविशील्ड डोज ली थी। पांच फरवरी को उन्हें सिर दर्द हुआ। डॉक्टर ने उन्हें माइग्रेन की दवा दी। इससे उन्हें कुछ आराम हुआ। छह फरवरी को वे गुरुग्राम गई थीं। सात फरवरी को उल्टी होने पर वे अस्पताल में भर्ती की गईं। जांच के बाद डॉक्टरों ने ब्रेन में ब्लीडिंग की आशंका जताई। स्नेहल दूसरे अस्पताल में भर्ती की गईं, जहां उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया। डॉक्टरों ने खून का थक्का हटाने के लिए सर्जरी की। दो सप्ताह तक वेंटिलेटर पर रहीं। एक मार्च, 2021 को स्नेहल की मौत हो गई। टीका लगाने के बाद साइड इफेक्ट पर केंद्र सरकार की एईएफआइ समिति ने मुहर लगाई है। लूनावत ने सीरम पर गलतबयानी का आरोप लगाया है। हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए लूनावत की याचिका लंबित है।

टीके से खतरा नहीं

याचिका में बताया है कि डोज लगाने से पहले स्नेहल को आश्वस्त किया गया था कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। इसमें कोई जोखिम नहीं है। स्नेहल को स्वास्थ्य कर्मी होने के नाते कॉलेज में वैक्सीन लेने के लिए मजबूर किया गया। उनका कहना है कि टीके से जुड़े खतरे का खुलासा वैक्सीन निर्माता ठीक से नहीं करते। लूनावत का कहना है कि मैं अपनी बेटी को न्याय दिलाना चाहता हूं। साथ ही अन्य लोगों की जान भी बचाना चाहता हूं।

हर्जाने का प्रावधान नहीं

केंद्र सरकार का कहना है कि टीके के दुष्प्रभाव या अप्रिय घटना होने पर मुआवजे का प्रावधान नहीं है। वैक्सीन इसके लिए निर्माता उत्तरदायी हैं। हर्जाना पाने के लिए पीडि़त अदालत जा सकते हैं। डीसीजीआइ के नियमानुसार टेस्टिंग के दौरान साइड इफेक्ट के लिए कंपनी जिम्मेदार होगी। बाजार से खरीदी गई वैक्सीन से कोई प्रतिकूल प्रभाव शरीर पर पड़ता है तो हर्जाने के लिए उपभोक्ता अदालतों में शिकायत कर सकते हैं या हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं। पंजीकरण से जुड़े नियमों के उल्लंघन पर वैक्सीन निर्माता के खिलाफ डीसीजीआइ कार्रवाई कर सकता है।

…तो मिलेगा मुआवजा

कोवैक्सीन को लेकर विवाद के दौरान भारत बायोटेक ने अहम घोषणा की थी। प्रतिकूल प्रभाव पर कंपनी ने सरकारी या अधिकृत केंद्रों में संबंधित शख्स के उपचार का भरोसा दिया था। कोवैक्सीन की वजह से मौत साबित होने पर हर्जाना चुकाने का ऐलान भी कंपनी ने किया था।

NOT:~ जिस किसी को भी वैक्सीन साइड इफेक्ट हो रहे है वह व्यक्ति आवेकन इंडिया मूवमेंट से जुड़ सकता है उसकी हेल्प हो सकती है।
– पत्रिका से साभार