महावीर नहीं कोई, नहीं कोई जैन! ऐसा सुनकर भी नहीं हुये बेचैन!!- तोड़-मरोड़ कर ऐसी शर्मसार टिप्पणियां

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तमिल भाषा में पहले एक-दो लोग बदतमीजी पिछले 6-10 साल से कर रहे हैं और अब तो ‘थिंकर्स ग्रुप’ बनाकर, जैनों के खिलाफ बदतमीजी का सीमा पार करने लगे हैं। 15 दिन पहले एक ऐसी ही, आधारहीन बातों को कथित तथ्य बताकर शर्मसार करने वाला 19 मिनट का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया है, जिसके खिलाफ तमिलनाडू का ‘अहिंसा वॉक’ जो 225 जैन हैरिटेज साइटों के बारे में जागरूकता अभियान चला रखा है, उनके द्वारा  इस हटाने की पुरजोर कोशिशें हो रही हैं। पर अफसोस है कि राष्ट्रीय स्तर की एक भी संस्था अभी तक आगे नहीं आई।

तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के सर्वमान्य, सर्ववंदनीय व्यक्तित्व को ‘परशुराम’ बताया जा रहा है, और तोड़-मरोड़ कर ऐसी शर्मसार टिप्पणियां की जा रही हैं कि ये न बिहार के कुण्डलपुर में जन्मे और ना ही पावापुरी से मोक्ष गये। महावीर को मारवाड़ी बताकर जैनों के प्राचीन इतिहास को मात्र 7वीं सदी से तथ्यहीन रूप से कहा जा रहा है। यहां तक कि समानार (श्रमण) यानि जैनों की भी उपस्थिति को नकारते हुए मारवाड़ी कहा गया है। वैसे मारवाड़ी जैन व हिंदू दोनों में होते हैं, पर तथ्यहीन बातों को जैन समाज बर्दाश्त कर रहा है, यह हैरानगी वाला है।