इस बार माघ शुक्ल एकम का क्षय होने के बाद लगातार तीन कल्याणक आ गये। सोमवार 31 जनवरी को प्रथम तीर्थंकर के मोक्षकल्याणक के बाद, एक फरवरी को माघ कृष्ण अमावस को 11वें तीर्थंकर श्री श्रेयांसनाथ भगवान जी के ज्ञान कल्याणक के बाद, अब दो फरवरी को है 12वें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी का ज्ञान कल्याणक, माघ शुक्ल द्वितीया को चम्पापुर में मनोहर वन में पाटन वृक्ष के नीचे अपराह्न काल में एक वर्ष के कठोर तप के बाद केवलज्ञान की प्राप्ति हुई।
78 कि.मी. विस्तृत समोशरण की रचना कुबेर तत्काल करता है। सुधर्म प्रमुख गणधर के साथ 66 गणधर, 72000 ऋषि, 1200 पूर्वधर मुनि, 39200 शिक्षक मुनि, 5400 अवधि ज्ञानी, 600 केवली, 10,000 विक्रियाधारी मुनि, 6000 विपुलमति ज्ञानधारी मुनि, 4200 वादी मुनि, श्री वरसेना जी प्रमुख आर्यिका के साथ 1.06 लाख आर्यिकायें, श्री दिवपिष्ठ मुख्य श्रोता सहित दो लाख श्रावक और चार लाख श्राविकायें समोशरण में दिव्यध्वनि का लाभ लेती थी।
आपका केवली काल 53,99,999 वर्ष का रहा।
24 में से केवल आप ही एकमात्र तीर्थंकर हैं, जिनके पांचों कल्याणक एक ही नगर चंपापुर में हुये।
बोलिये 12वें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी के ज्ञान कल्याणक की जय-जय-जय।