सिंगोली जिला नीमच में मुनिश्री शांति सागरजी महाराज का समाधिमरण

0
1196

शांत मूर्ति वात्सल्य रत्नाकर आचार्य भगवन् श्री 108 सन्मतिसागरजी महाराज (दक्षिण) के परम प्रभावी शिष्य बालयति निर्यापकश्रमण श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के संघस्थ मुनिश्री शांति सागरजी महाराज समाधिमरण दिनांक 20-1-2022 की रात्रि में 11बजे हों गया है
जिनका डोला यात्रा (अंतिम यात्रा) दिनांक 21-1-2022 को प्राप्त:10 बजे सिंगोली जिला : नीमच में किया
प.पू मुनिश्री 108 शांतिसागर जी महाराज
जीवन परिचय
🔸 पूर्व नाम :-
श्री दादा सो श्रीपाल पाटिल, जैन
🔸जन्म :-
01/ जून /1960 दिन बुधवार
जेष्ठ शुक्ल- षष्ठी,विक्रम संवत् 2017
🔸जन्म स्थान :-
समडोली,जिला-सांगली(महाराष्ट्र)
🔸पिताश्री :-
श्रीमान श्रीपाल पाटिल ,जैन
🔸माताश्री :-
श्रीमति हौसा बाई पाटिल, जैन
🔸लौकिक शिक्षा :-
दसवीं (मराठी माध्यम )
🔸मातृभाषा :-
मराठी,कन्नड़,हिन्दी
🔸व्यवसाय :-
कृषिफर्म ( खेती )
🔸ब्रम्हचर्य व्रत :-
जनवरी 1993 मे,जबलपुर(म.प्र.)
🔸स्थान :-
श्री मढ़िया जी,पंचकल्याणक जबलपुर में प.पू.आचार्य विद्यासागरजी के करकमलों से आजीवन ब्रम्हचारी व्रत, संघ में 15 वर्ष तक आना जाना रहा
🔸विशेष रुची :-
मुनि,त्यागी प्रतियों की सेवा, वीर सेवादल सामजिक संगठन में सहभागी होकर धर्म-समाज की सेवा की,रोज अभिषेक, पूजन और स्वाध्याय,श्रावकों के षट्आवश्यकों का पालन
🔸ऐलक दीक्षा :-
02 /अप्रैल /2010 दिन शुक्रवार
चैत्र कृष्ण- चतुर्थी, वि.सं.2066
🔸स्थान :-
श्री महावीर व्रती आश्रम, म्हैसाल,जि.सांगली, महाराष्ट्र
🔸मुनि दीक्षा :-
02 /दिसंबर /2010,दिन-गुरुवार
मार्गशीर्ष कृष्ण-एकादशी, वि.सं. 2067
🔸स्थान :-
श्री आदीगिरी तीर्थक्षेत्र, समडोली, जिला- सांगली, महाराष्ट्र
🔸दीक्षा गुरूदेव :-
प.पू.शांतमूर्ति,वाल्सल्य रत्नाकर आचार्य भगवंत श्री 108 सन्मतिसागर जी मुनिराज (दक्षिण)
🔸वैराग्य का कारण:-
बचपन से धार्मिक संस्कार क्षेत्र का प्रभाव समडोली धर्म नगरी में सतत साधुसंधो का वास्तव्य होने से सेवा, वैय्यावृत्ति,आहारदानादि के निमित्त से वैराग्य भाव बनते गये
आचार्य बाहुवली जी, आ.सुबलसागर जी,आ.विद्यासागर जी,ऐलाचार्य विद्यानंद जी (दिल्ली),आ.श्रुतसागर जी (दक्षिण),आ.सन्मतिसागर जी (दक्षिण),मुनिमहाबल जी इ.अनेकानेक साधुओं की संगति से वैराग्य प्रबल हो गया।
🔸नियमसलेखना पूर्वक समाधि मरण
दिनांक 20/01/22 दिन गुरुवार समय रात्रि 11.45 बजे
श्री सन्मति विद्या संघ परिवार