21वे तीर्थंकर श्री 1008 नमिनाथजी का केवलज्ञान कल्याणक महोत्सव:तिथि मार्गशीर्ष शुक्ला 11, शुक्रवार,वी.सं.2547,दि.25 दिसम्बर, 2020

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21वे तीर्थंकर श्री 1008 नमिनाथजी का केवलज्ञान कल्याणक महोत्सव:तिथि मार्गशीर्ष शुक्ला 11, शुक्रवार,वी.सं.2547,दि.25 दिसम्बर, 2020

जय स्याद्वाद के नायक हो, जिन मुक्तिमार्ग विधायक हो।
नमिनाथ प्रभो मैं नमन करूँ,शुद्धात्म तत्व दर्शायक हो।।”

श्री नमिनाथ भगवान के पूर्व भव
1 .जम्बूद्वीप संबंधी भरत क्षेत्र के वत्स देश की कौशांबी नगरी के राजा सिध्दार्थ:- इक्ष्वाकुवंशी राजा पार्थिव और रानी सुन्दरी के श्रेष्ठ पुत्र राजा सिध्दार्थ ने अपने जैनेश्वरी दीक्षित पिता मुनिश्री पार्थिव के समाधिमरण के समाचार सुने और विरक्त हो कर मनोहर नामक उद्यान में केवलीभगवान महाबल से धर्म का स्वरूप सुन क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त किया। शांत संयमी मुनि बन राजा सिध्दार्थ ने ग्यारह अंग का ज्ञान प्राप्त कर सोलहकारण भावनाओं के बल से तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया।
2.अहमिन्द्र:-तपश्चरणपूर्वक कर्म की निर्जरा करते हुए अंत में समाधिमरण कर श्रेष्ठ अनुत्तर अपराजित विमान में वे अहमिन्द्र हुए।वहाँ तेतीस सागर की उनकी आयु थी और एक हाथ ऊंचा शरीर था।
3.तीर्थंकर श्री नमिनाथजी
श्री नमिनाथजी तीर्थंकरका परिचय
जन्मस्थान:मिथिला नगरी,पिता:ऋषभदेवके वंशज विजय महाराज, माता:वप्पीला महादेवी,

अपराजित विमान से अहमिन्द्र अवतीर्ण हुए,गर्भ कल्याणक तिथि:आश्विन कृ.2, गर्भनक्षत्र:अश्विनी।
जन्म कल्याणक तिथि:आषाढ़ कृ.10,जन्म नक्षत्र:अश्विनी,चिन्ह:नीलकमल, आयु:10000 वर्ष, कुमारकाल:2500 वर्ष,राज्यकाल:5000 वर्ष,
वैराग्यकारण:जातिस्मरण,
दीक्षा तिथि:आषाढ़ कृ.10,दिक्षा समय:अपराह्न,
दिक्षा नक्षत्र:अश्विनी, दिक्षावन:चैत्र, दिक्षा वृक्ष:बकुल,
सहदीक्षित मुनि:1000, दीक्षा पालकी:उत्तरकुरु,
दिक्षा स्थान:मिथिलापुर, प्रथम आहार दाता:वीरपुर नगर के राजा दत्त,

केवलज्ञान तिथि:मार्गशीर्ष शुक्ला 11,
गणधर संख्या:सुप्रभार्य आदि 17,सर्वऋषि संख्या:20000,
आर्यिका संख्या:45000,श्रावक संख्या:100000,
श्राविका संख्या:300000, केवलिकाल:2491 वर्ष,

मोक्ष कल्याणक तिथि : वैशाख कृष्णा 14, मोक्षकाल:प्रत्यूष,मोक्षनक्षत्र:अश्विनी, सहमुक्त:1000, योगनिवृत्ति:1 मासपूर्व,शरीरकी अवगाहना:15धनुष, मुक्तिस्थान:श्रीसम्मेदशिखरजी