हमारे पास धन का कोई अभाव नहीं है- एक दो क्षेत्र- शिखरजी, गिरनार चले भी जाते हैं तो कोई बात नहीं, हम दस बीस नवीन क्षेत्रों का विकास कर लेंगे

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शीर्षक पढ़कर गुस्सा तो बहुत आएगा, पर जब शिखरजी चला जायेगा, तब कुछ हाथ नहीं आएगा, इसलिए ये दस पंक्तियाँ ज़रा पूरा पढ़िए तभी कुछ समझ आएगा

हम जैन हैं और हमारे पास धन का कोई अभाव नहीं है। एक दो क्षेत्र चले भी जाते हैं तो कोई बात नहीं, हम अन्य नवीन क्षेत्रों का विकास कर लेंगे क्योंकि हमारे पास तो किसी बात की कोई कमी नहीं है तो हम पुरातन संस्कृति का संरक्षण क्यों करें जाने दो, एक दो क्षेत्रो को, क्या फर्क पड़ता है यह सब तो चलता ही रहता है ।इन बातों से हमारा क्या लेना देना, हम तो व्यापारी है और व्यापार करना हमारा धर्म है। यह भी एक व्यापार है एक क्षेत्र चला गया तो क्या हो गया दस बीस क्षेत्र और बना लेंगे

यह सब पढ़कर आप चोंक जायेंगे क्योंकि आपको यह खटकने लगेगा कि ऐसा क्यों लिखा गया है लेकिन इसको लिखने के पीछे मकसद सिर्फ यही है कि आप प्राचीन जैन क्षेत्रों की रक्षा के लिए एकजुट हो सकें। वर्तमान में एक ऐसी केंद्रीय समिति की आवश्यकता है जो दृढ़ता के साथ क्षेत्रों के संरक्षण ,संवर्धन और सुरक्षित करने हेतु प्रयास कर सकें क्योंकि मेरा यह मानना है कि जब तक नेतृत्व सशक्त नहीं होगा तब तक हम यूं ही लूटते रहेंगे ।नेतृत्व होना अति आवश्यक है और जैन समाज में वर्तमान में नेतृत्व का अभाव ही नहीं नगण्य की स्थिति नजर आती है। विचार कीजिए, मंथन कीजिए नेतृत्व का विकास कीजिए और अपने क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिए आगे कदम बढाइये।

क्षमा के साथ
संजय जैन बड़जात्या कामां