आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज- श्रमण परंपरा के वर्तमान में सर्वोच्च पद आचार्य पद प्रतिष्ठापन दिवस पर कोटिशः नमन

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प्रशममूर्ति आचार्य श्री 108 शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) की परम्परा में पंचम पट्टाधीश परम पूज्य गुरुवर आचार्य श्री 108 विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज की असीम अनुकम्पा से गुरुभ्राता परम पूज्य सल्लेखनारत आचार्य श्री 108 मेरु भूषण जी महाराज ने अपने परम प्रभावक अनुज-भ्राता एलाचार्य श्री 108 अतिवीर जी महाराज की विशेष योग्यता, दिव्यता, संगठन व संचालन कुशलता एवं गंभीरता को देखते हुए श्रमण परंपरा के वर्तमान में सर्वोच्च पद “आचार्य पद” पर प्रतिष्ठित करने की घोषणा कर भक्तों को प्रफुल्लित कर दिया| पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि आपके द्वारा अल्पसमय में ही अभूतपूर्व ज्ञान-गंगा का प्रवाह निरंतर गतिमान है तथा विभिन्न नगरों में व्यापक धर्म प्रभावना संपन्न हो रही है।

आपकी छलछलाती मंद-मंद मुस्कान हर बाल-वृद्ध को अपनी ओर सहज ही आकर्षित कर लेती है| लगभग 25 वर्षों की सतत संयम साधना से फलीभूत अथाह ज्ञान भंडार, तप-त्याग-साधना, समाज-उद्धारक मानसिकता, स्व-पर कल्याण की भावना, एकता व संगठन, साधर्मी वात्सल्य, गंभीर चिंतन, धैर्य आदि अनेकों योग्य गुणों को देखते हुए यह कहना अतिश्योक्ति ना होगी कि आप जैन धर्म के वाङ्ग्मय में एक प्रखर प्रकाश पुंज की भांति दैदीप्यमान नक्षत्र बनकर जगमगाएंगे|

गुरुवर आचार्य श्री 108 विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज द्वारा दीक्षित समस्त शिष्य समुदाय में आप एकमात्र ऐसे शिष्य हैं जिन्हें उन्होंने स्वयं अपने कर-कमलों द्वारा कोई पद प्रदान किया है। गुरुवर द्वारा ही आपको आचार्य पद से सुशोभित किया जाना था परन्तु अचानक ही उनके समाधिमरण हो जाने से यह कार्य अधूरा रह गया| गुरूजी की भावना के अनुरूप गुरुभ्राता द्वारा अधूरा कार्य पूर्ण हुआ| गहन चिंतक, विचारक, प्रवचनकार व कुशल मार्गदर्शक के रूप में आपने अल्पसमय में ही जैन समाज को नयी दिशा प्रदान करने की सार्थक पहल की| आप हर उस कार्य को सहजता से कर लेते हैं जिसके लिए जैन समाज एक सही नेतृत्व का इंतज़ार करता रह जाता है| युवा पीढ़ी को कुशलतापूर्वक सही दिशा में अग्रसर करने में आपके हर कदम पर हज़ारों युवा चलने को तैयार हो जाते हैं|

आने वाला कल जिनके हाथों में है, उनको सही दिशा में आगे बढ़ाने की कला के भण्डार हैं| स्पष्ट सोच, स्वच्छ कार्यप्रणाली, निश्चित दिशा, हर विचार को यथार्थ में सहजता से अग्रसित कर देती है| आपके द्वारा विभिन्न प्रसंगों पर किये गए उत्कृष्ट कार्य श्रमण व श्रावक के लिए प्रेरक उदाहरण हैं| आपकी इन्हीं विलक्षण प्रतिभा व विशेषताओं को देखते हुए छाणी परंपरा के द्वितीय पट्टाधीश परम पूज्य आचार्य श्री विजय सागर जी महाराज के समाधि दिवस के प्रसंग पर आपके गुरुभ्राता परम पूज्य सल्लेखनारत आचार्य श्री मेरुभूषण जी महाराज ने दिनांक 20 दिसम्बर 2020 को एम. डी. जैन कॉलेज, हरीपर्वत, आगरा (उ.प्र.) में हजारों गुरुभक्तों के समक्ष तथा अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद् के विद्वानों की अनुमोदना के साथ विधि-विधान पूर्वक आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया।

परम पूज्य आचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज के श्रीचरणों में प्रथम आचार्य पद प्रतिष्ठापन दिवस के पुनीत अवसर पर शत-शत नमन…