राजा को भेंट दी जाती है भीख नहीं, धर्म अपराध से बचाता है अपराधी को नहीं
निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
राजा को भेंट दी जाती है भीख नहीं
धर्म अपराध से बचाता है अपराधी को नहीं
1.गुटके के दीवाना को गुटखा खाने का आंनद के लिए एकदम सादा भोजन भी कर सकता है गुटके के लिए जिंदगी भर मोन भी रह सकता है कैंसर आदि बीमारियों को जानकर भी गुटके का आनंद लेना चाहता है।
2.धर्म से राजनेता भी डरते हैं धर्म से सभी डरते हैं धर्म कभी राजनीति का विरोध नहीं करता है बेईमानी की राजनीति धर्म पसंद नहीं करता हैं
3.धर्म-धर्म और परमात्मा की जो नियति है सब को सुखी अच्छा बनाने की सोचते हैं,सब को ऊंचाई पर ले जाने की सोचते हैं,किसी को दुखी और किसी में बुराई ना हो यह सोचते हैं सब का उत्थान और पतन नहीं हो किसी का भी,धर्म दीनानाथ है किसी को दिन नहीं रहने देना चाहता हूं धर्म से किसी का विनाश नहीं हो।
4.आग पानी महाबीमारी के सामने हेकड़ी नहीं दिखाना।
5.जैनी की राजनीति-दुर्योधन के लिए युद्ध करना पाप है,अर्जुन के लिए युद्ध करना धर्म कहा।
6.महान आत्माओ से कभी गलती नही हो सकती,महान आत्मा कभी गलत नही कर सकती और महान आत्माएं कभी गलत को स्वीकार नही कर सकती फिर भी तीर्थंकरों ने राजनीति की इससे सिद्ध है कि राजनीति गन्दी नही है ।
7.जैनियों के खजाने से धन निकलता है तो या तो दान में जाता है या फिर ब्याज सहित लौटता है।
आज की शिक्षा-पूरे भारत में कमाने वालों में संख्या से सबसे कम कमाते हैं सबसे ज्यादा टैक्स जैन भरते हैं।
संकलन ब्र महावीर