संभवतः पहली बार सभी परिषद्- समितियों द्वारा दी गई शुभकामनायें – एलाचार्य श्री अतिवीर जी के आचार्य पदारोहण पर शुभ-भावना

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परम पूज्य प्रशांतमूर्ति आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज (छाणी) की परम्परा के पंचम पट्टाचार्य, त्रिलोक तीर्थ प्रणेता परम पूज्य आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज के परम प्रियाग्र शिष्य परम पूज्य एलाचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज के आचार्य पद प्रतिष्ठापन के पावन अवसर पर सिद्ध-श्रुत और आचार्य भक्ति सहित शत्-शत् नमन।
राजधानी दिल्ली में जन्म लेकर हर दिल पर राज करने वाले एलाचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज, परम पूज्य आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज के एकमात्र ऐसे शिष्य हैं, जिनके मुनि दीक्षा के संस्कार के साथ-साथ एलाचार्य पद के संस्कार स्व-गुरु के करकमलों से हुए हैं।
गुरुदेव आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मतिसागर जी महाराज और एलाचार्य श्री अतिवीर जी के जीवन का एक महासंयोग है कि दोनों की मुनि दीक्षा श्री महावीर जयंती के दिन ही हुई।

स्याद्वाद के प्रवर्तक और त्रिलोक तीर्थ के प्रणेता आचार्य श्री ने जिस भावना के साथ पूज्य एलाचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज को मुनि दीक्षा और एलाचार्य पद प्रदान किया – पूज्य श्री उसी गुरुभावना के गुरुतर भार का सहृदय निर्वहन कर रहे हैं।
हृदय में जिनधर्म के प्रति गहरी आस्था लिये वर्तमान की युवा पीढ़ी को धर्म से जोड़ने का जो महनीय कार्य पूज्य श्री कर रहे हैं, वह अभिनंदनीय है। मोक्षमार्ग के अविरल पथिकों के प्रति अपार वात्सल्य और उनके सहयोग के लिये सदैव तत्पर आपके अंदर अपने स्वगुरु आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मतिसागर जी महाराज के वात्सल्य गुण को जीवंत कर रहा है।
जैनधर्म के प्राचीन सिद्धांतों को नये आयाम प्रदान करने और उन पर गहन चर्चा, विचार – मंथन के लिये विद्वत संगोष्ठी का आयोजन आपके अंदर सम्यकज्ञान के प्रति गहरी ललक को प्रदर्शित करता है।
अपने दीक्षा गुरु की समाधि होने पर अपने ही गुरुभ्राता आचार्य श्री मेरूभूषण जी महाराज के द्वारा एलाचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज को आचार्य पद प्रदान करना अपने आप में वो ऐतिहासिक क्षण है, जो आज तक के इतिहास में संभवत: पहली बार होगा। उत्तर प्रदेश की धर्मनगरी आगरा के निवासियों का यह सातिशय पुण्य का उदय हैं, जिसके परिणामस्वरूप यह दिव्य आयोजन यहां समायोजन किया जा रहा है, तदर्थ आगरावासियों को हार्दिक बधाई एवं अनंत आशीर्वाद।
मैं इन पावन क्षणों का साक्षी बन रहा हूं, ये मेरा सौभाग्य है। पुनश्च! पूज्य एलाचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज के स्वस्थ, सुखद एवं संयमपूर्ण उज्ज्वल भविष्य के लिये अनंत शुभकामनाओं एवं आचार्य पद की हार्दिक अनुमोदना सहित कोटिश: नमन-वंदन-अभिनंदन ..!
– क्षुल्लक श्री योग भूषण

आचार्य श्री 108 विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज की
प्रथम दीक्षित वरिष्ठ शिष्या का संदेश

अद्भुत प्रतिभा के धनी
परम पूज्य पंचम पट्टाचार्य सिंहरथ प्रवर्तक त्रिलोकतीर्थ प्रणेता आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागरजी महाराज के सुयोग्य एवं मनोज्ञ शिष्य एलाचार्य श्री अतिवीर सागरजी महाराज का आचार्य पदारोहण महोत्सव होने जा रहा है, सुनकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई है। आप सागर के समान गम्भीर हैं, सूर्य के समान तेजस्वी हैं, क्षमा दया की प्रतिमूर्ति हैं। ज्ञान, ध्यान और वैराग्य के मार्ग पर अग्रणीय हैं। सभी गुण आपमें विद्यमान हैं, इन सभी गुणों को देखकर गुरुजी ने एलाचार्य पद से आपको सुशोभित किया था। आप चुम्बकीय व्यक्तित्व के धनी हैं। जो भी आपके पास आता है आप उसे अपना बना लेते हो। आपका मस्तिष्क कम्प्यूटर के समान है। आप जो भी कार्यक्रम कराते हैं, वह एतिहासिक होते हैं। आप प्रभावक साधु हैं। मिलनसार और एकता का सन्देश देते हैं। आप अनुशासन प्रिय हैं। स्वयं अनुशासन में रहते हैं और सबको अनुशासन में रहने की प्रेरणा देते हैं। आपकी भावना ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ की रहती है। एक आचार्य परमेष्ठि के जो गुण हैं, वह आपमें विद्यमान हैं। आप आचार्य पद पर प्रतिष्ठित होकर गुरुवर आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागरजी महाराज की परम्परा को विकसित करें। धर्म की प्रभावना करते हुए आत्म प्रभावना में अग्रसर रहें। हम दोनों आर्यिका माताजी की भावना है कि आप आचार्य पद पर प्रतिष्ठित हों। ऐसी शुभभावना के साथ परम पूज्य ऐलाचार्य श्री अतिवीर सागरजी महाराज श्री के चरणों में द्वय आर्यिका श्री का त्रय बार नमोस्तु – नमोस्तु – नमोस्तु।
– आर्यिका मुक्तिभूषण आर्यिका श्री 105 अनुभूति भूषण माताजी

सिंहरथ प्रवर्तक त्रिलोक तीर्थ प्रणेता पंचम पट्टाचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागरजी महाराज ने ब्र. नीरज भैया को महावीर जयन्ती के पावन अवसर पर मुनि दीक्षा प्रदान कर अतिवीर बनाया। कुछ समय के उपरान्त उनके अन्दर योग्यता देख ऐलाचार्य पद से विभूषित किया, लेकिन आज हमारे गुरुवर नहीं रहे। गुरु भाई के माध्यम से ऐलाचार्य श्री को आचार्य पद दिया जा रहा है। मेरी ओर से महाराज श्री को आचार्य पद की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं कोटि-कोटि नमन कि महाराज श्री निरन्तर अपनी साधना में अग्रसर रहें और हमें आशीर्वाद देते रहें।
– आर्यिका दृष्टि भूषण
परम पूज्य ऐलाचार्य अतिवीरजी महाराज जो आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागरजी महाराज के परम प्रिय शिष्य हैं, जिन्हें उन्होंने प्रथम ऐलाचार्य बनाया, वे स्वभाव से बहुत ही सरल है तथा ज्ञान से युक्त हैं, गुरुवर के प्रति समर्पित हैं। उनके आचार्य पदारोहण दिवस पर सिद्धक्षेत्र सोनागिर के 24 समवशरण क्षेत्र से क्षुल्लिका पूजाभूषण एवं भक्ति भूषण माताजी शत-शत नमन व हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हैं।
– क्षुल्लिका पूजा भूषण-भक्ति भूषण माताजी-मंगल कामना

सिंहरथ प्रवर्तक आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर महाराज से शिक्षा-दीक्षा ग्रहण कर मुनि श्री अतिवीरजी महाराज ने कुछ ही समय में समाज में लोकप्रियता प्राप्त कर ली, तो उन्हीं के दीक्षा गुरु आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर महाराज ने उन्हें ऐलाचार्य पद एक विशाल महोत्सव में प्रदान किया। ऐलाचार्य बनने के बाद श्री अतिवीरजी निरन्तर स्वाध्याय के माध्यम से अपने ज्ञान को वृद्धिडं्गत करते हुए समाज को अपने उपदेशों से लाभान्वित करा रहे हैं। उनकी उपदेश की शैली प्रभावक और रोचक है। श्रोता बड़ी लगन से उनके मधुर और मोहक भजनों का भी आनन्द लेते रहते हैं। विगत 20 वर्षों से जगह-जगह जिनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं। आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर महाराज ने उन्हें आचार्य बनने की योग्यता तो दे दी थी, किंतु आचार्य पद नहीं प्रदान कर सके थे। अब अवसर आया है और आचार्य श्री मेरुभूषण महाराज अपना आचार्य पद ऐलाचार्य श्री अतिवीरजी महाराज को प्रदान कर रहे हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से प्रसन्नता है कि ऐलाचार्य श्री अतिवीरजी महाराज को 20 दिसंबर 2020 को आचार्य पद प्रदान किया जा रहा है। वे आचार्य पद ग्रहण कर, अपने साथ अन्य मुनि, आर्यिका, क्षुल्लक-क्षुल्लिका को रखकर चतुर्विध संघ बनाकर धर्म की महती प्रभावना करें, मैं उनके प्रति अपनी ओर से मंगल कामना करता हूं। – डॉ. श्रेसांय जैन
अध्यक्ष, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि परिषद
श्री दिगंबर जैन आचार्य 108 श्री मेरू भूषण जी महाराज ने अपनी यम सल्लेखना के दौरान अपना आचार्य पद एलाचार्य 108 मुनि श्री अतिवीर जी को देने की घोषणा की है। मैं एलाचार्य मुनि अतिवीर जी को आचार्य पद दिए जाने पर अपेक्षा करता हूं कि मुनि अतिवीर जी आचार्य पद की गरिमा में वृद्धि करेंगे और धर्म की प्रभावना करते रहेंगे।
– राजेंद्र के गोधा, कार्याध्यक्ष एवं महामंत्री, भा. दि. जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी

अप्रतिम क्षण, सादर नमन
परम पूज्य आचार्य श्री मेरुभूषण जी महाराज अपने सल्लेखना काल में सर्व उपाधि और उपाधियों से निर्वृत्त होने के लिए अपना आचार्य पद, परम पूज्य एलाचार्य श्री अतिवीर जी महाराज को प्रदान कर रहे हैं। यह अनुकरणीय एवं श्लाघनीय है। एलाचार्य श्री अतिवीर जी महाराज स्वाध्याय शील एवं जिज्ञासु प्रवृत्ति रखते हैं। वे आचार्य श्री मेरुभूषण जी महाराज से आचार्य पद प्राप्त कर, उनके सल्लेखना की सम्पन्नता में निर्यापक आचार्य के रूप में सहयोगी बनेंगे और भविष्य में अपनी चर्या में आचार्य पद के योग्य चर्चा और चर्या रखकर, जिन शासन संघ एवं मूल संघीय आर्ष परम्परा का निर्वहन करेंगे। मैं पूर्व एवं भावी आचार्य द्वय के प्रति सादर नमोस्तु करता हुआ अपनी विनयांजलि समर्पित करता हूँ। – कर्मयोगी डा. सुरेन्द्र कुमार जैन
महामन्त्री, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत् परिषद्

‘णमो आइरियाणं’
जैन धर्म के चरणानुयोग में वर्णित आचार्य परंपरा अविच्छिन्न चलती रहे, उसका प्रयोग आचार्य श्री मेरु भूषण जी महाराज अपने शरीर की अस्वस्थता के चलते अपने सुयोग्य शिष्य महाराज श्री अतिवीर जी को आचार्य पद पर स्थापित करने जा रहे हैं। मेरी कामना है कि समाज के अन्य साधु संघ भी इसी प्रकार उच्च उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इस परंपरा का सम्यक प्रकार से निर्वहन करेंगे, ताकि साधु संतों की परंपरा निर्विवाद रूप से एवं अक्षुण्ण पंचम काल के अंत तक चलती रहे। आचार्य श्री मेरूभूषण जी द्वारा गिरनार जी के संबंध में किए गए किए गए उपवास जैन समाज हमेशा याद रखेगा और उनका ऋणी रहेगा।
– अशोक बड़जात्या राष्ट्रीय अध्यक्ष, दिगंबर जैन महासमिति

आचार्य श्री मेरुभूषण जी महाराज बहुत ही सरल स्वभावी व आगम निष्ठ साधु हैं। उन्होंने जो हमारे गिरनार क्षेत्र पर विपत्ति आई थी, उस समय उन्होंने अन्न-जल-त्याग कर दिया था और 10-12 दिन बाद तत्कालिक गृहमंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी तथा गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के निर्देश पर, अमित शाह जी ने लाल मंदिर, दिल्ली में उनको आश्वासन देकर उपवास तुड़वाया। ऐसे त्यागी-व्रती महाराज, जिन्हें जैन तीर्थों के प्रति चिंता रहती है, ने सल्लेखना के बाद अपने गुरु भ्राता एलाचार्य श्री अतिवीरजी को अपना आचार्य पद दे रहे हैं। आशा है आचार्य पद, एलाचार्य श्री अतिवीरजी को मिलने पर चल-अचल तीर्थों के संरक्षण, समाज के उत्थान, जिन प्रभावना के लिये अपना योगदान देकर हम सबको लाभान्वित करेंगे। – निर्मल कुमार सेठी, अध्यक्ष, अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा

हर्ष का विषय है कि सल्लेखनारत आचार्य श्री मेरुभूषण जी, ऐलाचार्य श्री अतिवीरजी महाराज को आचार्य पद दे रहे हैं। निश्चय ही वे आचार्य पद के लिये उपयुक्त हैं। आने वाले समय में उनके द्वारा धर्म प्रभावना और अधिक होगी। मैं दिल्ली पंचायत से पांच दशक से जुड़ा हुआ हूं और इनका परिवार भी शुरू से जुड़ा हुआ है। दिल्ली-6 के े महाराज धार्मिक कार्यों से भलि-भांति परिचित हैं तथा समाज को एक करने व जिन प्रभावना में सभी प्रयास करते रहेंगे, ऐसी आशा है।
– चक्रेश जैन, अध्यक्ष, दिल्ली जैन समाज

हमारे गुरुवर, एलाचार्य श्री अतिवीरजी महाराज को आचार्य पद प्रदान किया जा रहा है, यह पूरे समाज को आनंदित करने वाला है। जैसा हमने पहले भी देखा है कि गुरुवर समाज के उत्थान, विकास व सौहार्द के लिये सदा प्रयत्नशील रहते हैं, अब आचार्य पद समाज की एकता, जिन शासन की प्रभावना, समाज की उन्नति-विकास-सौहार्द के लिये सभी संभव कार्य करते रहेंगे। – गजराज गंगवाल, अध्यक्ष, त्रिलोकतीर्थ संस्थान व भारतवर्षीय दि. जैन सराक ट्रस्ट

वाक् शैली महत्वपूर्ण और अति विशेष

तप, त्याग, ज्ञान में सदैव लीन आध्यात्मिक गुरु एलाचार्य अतिवीर जी महाराज अपने गुरु आचार्य सन्मति सागर जी महाराज की हर दृष्टि से प्रतिमूर्ति हैं। उनका सरल वात्सल्य से परिपूर्ण व्यवहार उनका आचरण आज के समय में साधू समाज की गरिमा और प्रतिष्ठा बनाने में सफल हो रहा है। उनकी वाक् शैली बड़ी महत्वपूर्ण और अति विशेष है। जैन समाज के प्रचार-प्रसार, संगठन समन्वय में उनका एक बहुत बड़ा योग दान है और भविष्य में समाज को उनसे बहुत लाभ प्राप्त होगा और विशेष तौर से उनके आचार्य पद को ग्रहण करने पर। आचार्य मेरू भूषण जी महाराज ने अतिवीर जी महाराज के रूप में एक हीरे का चयन किया है, आचार्य पद से सुशोभित करने के लिए। उनके चरणों में शत: शत: वंदन एवम् साधुवाद।
एलाचार्य अतिवीर जी महाराज को एक बहुत बड़ी उपलब्धि, जो समाज को दिशा-निर्देश देने में सहायक होगी। उसके लिए चरण स्पर्श एवं साधुवाद
– स्वदेश भूषण जैन, कार्यकारी अध्यक्ष, पंजाब केसरी

सरल और सौम्य हमारे गुरुवर
परम पूज्य आचार्य श्री सन्मति सागर जी महाराज के परम शिष्य आचार्य श्री अतिवीर जी महराज अत्यंत सरल वात्सल्य के धनी हैं। आचार्य सन्मति सागर जी महाराज जी ने हीरा को तराशा और मोक्ष मार्ग पर अग्रसर कर दिया, मेरा सौभाग्य कि मैंने पूज्य आचार्य श्री को बहुत करीब से जाना देखा। बात कुछ समय पूर्व की है जब एलाचार्य श्री का नांगलोई में आगमन हुआ और हमारे यहां प्रवास हुआ। आपके मंगल सान्निध्य में हमारा पूरा परिवार आपकी भक्ति करके धन्य हो गया। आपको आचार्य बनने की बहुत-बहुत बधाई और आप के पावन चरणों में मेरी तरफ से मेरे पूरे परिवार की तरफ से बारंबार नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु।
– राजेश जैन मोनिका जैन, नमो जैन वाणी जैन वर्धमान ज्वैलर्स, नांगलोई दिल्ली।

सन् 2014 में जब ऐलाचार्य श्री अतिवीरजी महाराज का श्री दि. जैन मंदिर कृष्णा नगर में चातुर्मास हुआ, वह बहुत ही शांतिपूर्वक और धर्म प्रभावना के साथ सम्पन्न हुआ। महाराजश्री के आचार्य पद प्रतिष्ठापन पर समाज हर्षित है।
– महेश चन्द जैन, अध्यक्ष कृष्णानगर जैन समाज, प्रधान यमुनापार दि. जैन समाज दिल्ली (रजि.)

ऐलाचार्य श्री अतिवीरजी महाराज को 20 दिसंबर को आचार्य पद से सुशोभित होने पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
– सुनील जैन शिवम्, महामंत्री यमुनापार दि. जैन समाज दिल्ली (रजि.)

जैन समाज का परम सौभाग्य है कि आज ऐलाचार्य श्री अतिवीरजी महाराज को आचार्य पद से सुशोभित किया जा रहा है। महाराजश्री में सभी गुण हैं जो एक आचार्य में होने चाहिये। जैन समाज भोगल, श्रीजी से यही प्रार्थना करता है कि समस्त जैन समाज पर उनका वात्सल्य, स्नेह, मंगलमय आशीर्वाद बना रहे।
– राकेश जैन, सचिव भोगल जैन मंदिर

ऐलाचार्य श्री अतिवीरजी महाराज से परिचय बाल अवस्था से है, उनसे ब्रह्मचारी जीवन में भी, कुछ न कुछ सीखने को मिला। ऐलाचार्य बनने के बाद उनकी जो असीम कृपा रही। आज हमारा पूरा परिवार उनको श्रद्धानवत् नमन करते है। समयसार विधान में जो योजना ऐलाचार्य श्री ने बनाई, उससे समाज ने बहुत प्रेरणा ली। मैं उनके आचार्य पद ग्रहण करने पर पुन: शत्-शत् नमन करता हूं।
– अनिल जैन बल्लो, प्रीत विहार

गुरुवर की शिक्षायें बहुत उपयोगी
गुरुवर एलाचार्य अतिवीरजी महाराज ने युवाओं को धर्म एवं सामाजिक कार्य में संल्गन रहने के लिये प्रेरित किया। समाज को सुदृढ़ बनाने और जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में उनके द्वारा बताई गई शिक्षाएं हमारे लिये बहुत उपयोगी साबित हुई, जिन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। – ऋषभ जैन, मंत्री न्यू रोहतक रोड

कम समय में लघु पंचकल्याणक कराया
कैलाश नगर गली नं.12 में भगवान महावीर स्वामी की 3 मूर्तियां कोर्ट से मिली, तभी से अतिवीर महाराजश्री से परिचय हुआ। ऐलाचार्य श्री का तेज इतना है कि बहुत ही कम समय में लघु पंचकल्याणक कराया। उस समय हमारे यहां बहुत छोटी समाज थी और समाज को डर लग रह था कि इतना बड़ा कार्य हम कैसे सम्पन्न करा पाएंगे, परन्तु, गुरुदेव ने कहा कि आप चिन्ता न करें, ऐसा लघु पंचकल्याणक होगा जिसे पूरी दुनिया देखेगी।
– पंकज जैन, कैलाश नगर गली नं.12 (शिवी जींस)

क्या मांगू महावीर से तुझे पाने के बाद,
किसका करूं इंतजार तेरे आने के बाद।
क्यों लुटा देते हैं लोग गुरु पे सब,
कुछ ये मालूम चला अतिवीरजी को गुरु बनाने के बाद।।
– राहुल जैन, कैलाश नगर, दिल्ली-31 (श्री अतिवीर ड्रेसिस)

ऐलाचार्य श्री अतिवीरजी महाराज को आचार्य पद बहुत समय पहले मिल जाना चाहिये था। आपको जिन धर्म व साधु की चर्या का बहुत ज्ञान है। बच्चों-युवाओं को धार्मिक क्रियायों में जोड़ना, आहार-विहार के लिये प्रेरित करने में काफी प्रयास रहता है गुरुदेव का। उन्हीं की प्रेरणा से जैन यूथ काउंसिल, दिल्ली प्रदेश का गठन हुआ। उनकी मुस्कान भक्तों में नया उत्साह पैदा करती है।
– ऋषभ जैन, महामंत्री न्यू रोहतक रोड जैन मंदिर

उनका आचार्यत्व समाज को नई दिशा देगा
ऐलाचार्य श्री अतिवीरजी महाराज के चरणों में शत-शत नमन। मुनिदीक्षा से ही उनका सान्निध्य, कुशल मार्गदर्शन एवं प्रेरक उद्बोधन प्राप्त होता रहा है। दिगंबर जैन मंदिर पावापुरी नजफगढ़, दिगंबर जैन मंदिर बैंक एन्कलेव तथा अतिशय क्षेत्र बड़ागांव में आयोजित कर्इं नव वर्ष समारोह उनकी दूरदृष्टि के साक्षात उदाहरण हैं, जिनसे समाज के युवा वर्ग को धर्म से जोड़ने की उनकी प्रबल भावना प्रकट होती रही है।
दिल्ली के ऐतिहासिक लालकिला मैदान में आयोजित कईं परंपरागत महावीर जयंती समारोह तथा शाह आडिटोरियम में भगवान बाहुबली महामस्तकाभिषेक से पूर्व की विशाल धर्म सभा तथा कईं अन्य अवसरों पर भी समाज के नाम उनका बेबाक उद्बोधन उनकी निडरता तथा समाज के भविष्य के प्रति उनकी चिंता को दर्शाता रहा है। जो हर किसी के बस की बात नहीं है।
बात शनिवार 12 मई 2018 की है, मैं दिगंबर जैन मंदिर प्रीत विहार में दर्शन करने गया था। मुझे पता चला कि ऐलाचार्य श्री अतिवीर जी महाराज आए हुए हैं और निकट ही कोठी नं.-ई-164 में विराजमान हैं। मेरे मन में एकदम विचार आया और भाव उठे कि मंदिर के दर्शन के बाद उनके दर्शन करके भी जाऊंगा। यह मेरी आदत भी रही है। दर्शन संपन्न करके मूलनायक भगवान महावीर स्वामी की वेदी के सामने पंचाग नमस्कार करके मैं जैसे ही उठा तो देखा कि मेरे दायी ओर ऐलाचार्य श्री खड़े हैं और मुस्कुरा रहे हैं, मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा, मैं भाव-विभोर हो गया और झुककर नमोस्तु किया और कहा कि महाराज जी मैं तो आपके दर्शन करने आ ही रहा था। महाराज जी बोले- मैं ही आ गया न, अब चलो। उनके दर्शन करने के बाद मैं उनके साथ ई-164 गया और काफी देर धर्मचर्चा हुई, शंका समाधान किया। आत्मिक आनंद की अनुभूति हुई तथा अहसास हुआ कि सच्चे मन की भावना भगवान अवश्य पूरी करते हैं।
एक बार वे सुभाष चौक, लक्ष्मीनगर मंदिर में विराजमान थे, सुबह ही उन्हें विहार करना था, तेज वर्षा हो रही थी लोगों को शंका थी कि ऐसे में विहार कहां होगा, महाराज श्री बोले जब वर्षा नहीं रुक रही है तो हम क्यों रुकें, हम वर्षा का आनंद लेते हुए चलेंगे। और महाराज श्री चल दिए, मैं उनके साथ-साथ छाता लेकर चल रहा था। वे मुस्कुरा रहे थे। और थोड़ी देर बाद ही वर्षा भी रुक गई। आखिर कुछ तो बात होती है संतों में।
मुझे लगता है उनका आचार्यत्व समाज को कुछ न कुछ नया मार्ग दर्शन अवश्य देगा तथा संगठित होने की नई प्रेरणा देगा। विशेष रूप से युवावर्ग के लिए उनको कुछ न कुछ अवश्य करना चाहिए।
आचार्य पदारोहण के पावन अवसर पर मेरी भावभरी विनयांजली एवं मंगल भावनाएं। उनके चरणों में शत्-शत् नमन।
– रमेश जैन एडवोकेट, नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली।

ऐलाचार्य श्री अतिवीर जी महाराज ने काफी समय पहले श्री शिखरजी की यात्रा करवाई जो कि हमें काफी प्रभावित करती है, वहां पर सभी तरह की व्यवस्था रही और वे क्षण न भूले जाने वाले रहे और किसी भी यात्री को परेशानी नहीं हुई। लगभग 1200 यात्रियों ने इसका लाभ उठाया। सचमुच ऐलाचार्य श्री का निर्देशन अद्वितीय है।
– मनीष जैन, शांति विहार

शक्ति नगर दिल्ली से समाज का अथक प्रयास चल रहा था कि पूज्य ऐलाचार्य श्री आचार्य पद स्वीकार करें और अब वह शुभ दिन आ रहा है जब ऐलाचार्य श्री का आचार्य पद प्रतिष्ठापन आगरा में हो रहा है। समस्त शक्ति नगर समाज ऐलाचार्य श्री के चरणों में शत्-शत् नमन करता है।
– राजकुमार जैन, सुनील जैन शक्ति नगर

युवा पीढ़Þी के लिये प्रेरणास्रोत
युवा पीढ़Þी के समाज को जिनधर्म के सिद्धान्तों का पालन करते हुए, समाजसेवा व मानव कल्याण के पथ पर अग्रसर कराने के लिऐ परम पूज्य एलाचार्य श्री 108 अतिवीर जी महाराज प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। जैनधर्म के मूलभूत सिद्धांतों की चर्चा तो अनेक साधुगण करते हैं, मगर मूलभूत सिद्धान्तों को वर्तमान की भागदौड़ भरी जिन्दगी के साथ तालमेल बनाकर किस तरह से फलीभूत करना है, यह महाराज श्री ने अच्छी प्रकार से सिखाया है।
महाराज श्री ने अपना साधु जीवन जैन समाज को (विशेषकर दिल्ली एवं उत्तर भारत के जैन समाज) समर्पित कर रखा है। अब तक करीब 15 वर्षों के दीक्षाकाल के अर्न्तगत न जाने कितने बड़े-बड़े धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रमों को अति सुन्दर तरीके से सम्पन्न किया है। महाराज श्री सदैव से ही घर-घर में संस्कार देकर हर घर को तीर्थ के समान बनाने मे प्रयत्नशील हैं, जिस कारण न केवल जैन बल्कि अजैन लोगों में भी महाराज श्री काफी लोकप्रिय बने हुए हैं।
हमें भली प्रकार से ध्यान है कि गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली जी महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम के लिए महाराज श्री की पावन प्रेरणा से ही हमने दिल्ली से तीन हवाई यात्राओं (जिनके नाम महाराज श्री ने ही सुझाए थे – सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र) का सर्वसुविधाओं से साथ भव्य आयोजन किया था।
वायुदूत परिवार को भी महाराज श्री के चोके का पुण्य लाभ प्राप्त हो चुका है। आज के इस युग में इतने सरल साधु का होना ही अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।
एलाचार्य श्री 108 अतिवीर जी महाराज के आचार्य पदारोहण के इस शुभमंगल अवसर पर महाराज श्री को वायुदूत टैÑवल एवं वायुदूत ग्रोसरीज की तरफ से बारम्बार शत-शत नमोस्तु। वीर प्रभु के श्री चरणों में हम प्रार्थना करते हैं कि इन महान संत को अब और अधिक शक्ति व तप प्रदान करें ताकि अपनी धर्म साधना के साथ-साथ हम संसारिक प्राणियों को धर्म के मार्ग पर ले चलकर हमें व हमारी आने वाली नई पीढ़ी को जिनधर्म के प्रचार-प्रसार व समाजसेवा के कार्यों पर लगाए रह सके। नमोस्तु भगवन।
– जितेन्द्र कुमार जैन, विरेन्द्र जैन, नीरज जैन (डायरेक्टर: वायुदूत वर्ल्ड ट्रैव्लस
इंडिया प्रा. लि., दिल्ली)