चांदवाड गुफा मंदिर, मांगीतुंगी के पास,अतिक्रमण मौजूद, कालीका मंदिर का बोर्ड , झंडे भी भी लगा दिए -बचाइए अपने क्षेत्रों को

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चांदवाड महाराष्ट्र नाशीक से ७० किलोमीटर मनमाड से ४५ किलोमीटर पर पहाड पर ये मंदिर गुफा के अन्दर भगवान मुनिसुब्रतनाथ भगवान के काल में राम जी ये मंदिर बनाया।इस गांव का नाम चांदवाड भी, चंद्रप्रभू भगवान के नाम से ही रखा गया था । यह मंदिर गांव का कुल मंदिर से प्रसिद्ध था। जिस पर दूसरे समुदाय के लोग अपना अधिकार जमाने लगे हैं और कालीका मंदिर का बोर्ड भी लगा दिए अपने झंडे भी लगा रखें है। चांदवाड की समाज ने प्रयास करके अभी काफी एरीया घेर कर गेट लगाके ताला लगा कर रखें हैं पूर्ण रूप से खाली नहीं करा सके. और उस स्थान की जानकारी मिली।

चांदवाड़ अपनी 11वीं शताब्दी की जैन गुफाओं के लिए प्रसिद्ध था जो तीर्थंकर चंद्रप्रभ को समर्पित है जो एक पहाड़ी पर स्थित है। चांदवाड़ में रहने वाले जैन मानते हैं कि यह जगह एक समय प्रसिद्ध और जैन धर्म का बड़ा केंद्र था। माना जाता है कि इस गुफा मंदिर का निर्माण मुनिसुव्रत स्वामी के समय भगवान राम ने करवाया था। यहाँ तक कि गाँव का नाम तीर्थंकर चन्द्रप्रभा से ही मिला।

गांव के कुल मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ यह मंदिर वर्षों से, अन्य समुदायों के लोगों ने अपने प्राधिकरण को आश्वस्त करना शुरू कर दिया है और मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर अपने झंडे और बोर्ड लगा दिए हैं। चांदवाड़ जैन समाज ने जैन मूर्तियों की रक्षा के लिए अतिक्रमण साफ करने और द्वार लगाने का प्रयास किया लेकिन उसे पूरी तरह हटाने में सफल नहीं हो पाया क्योंकि जैन यक्षी को कालिका माता बनाकर हिन्दू देवी के रूप में पूजा जाता रहा है।

अपने समाज को इस पर सोचना चाहिए और ऐसे पुराने अतिश्य क्षेत्र बचाना चाहिए। और लोगो को ऐसे क्षेत्र की पूरी जानकारी भी देनी चाहिए जिससे लोग दर्शन को जा सके।

एक पुराने अतिश्य क्षेत्र बचाने एंव उसका र्जिनोदार करवाने से एक हजार नये मंदिर बनाने के बराबर पूण्य मिलता है।

– श्री विकास जैन