इतिहास में एक नई इबारत :आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज ने किया आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के जन्म आवास का अवलोकन, हुए अभिभूत सदलगा

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कर्नाटक वह पावन ग्राम
जिसे हम सब कहते सदलगा ग्राम
जहाँ जन्मे विद्यासगर महाराज वह धाम

जी हा हम इस लेखन और संस्मरण के माध्यम से बात कर रहे सदलगा ग्राम की जो एक पावन पुनीत धाम है जहाँ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज, श्री समयसागर जी महाराज,व श्री योगसागर जी महाराज श्री मल्ली सागर जी एवम आर्यिका श्री समय मति जी ने जन्म लिया इनके द्वारा जो जिनधर्म की ध्वजा पुलकित हुई है वह किसी से अछुती नही है।
15 व 16 नवम्बर 2021 इतिहास में एक नई इबारत लिख गयी। श्री राजेश पंचोलिया सनावद से मिली जानकारी जो मन को गदगद कर देती है।

दिनांक 15 नवम्बर को पंचम पट्टाधिश वात्सलय वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज ने आचार्य श्री विद्यासागर जी की जन्मस्थली सदलगा में संघ सहित मंगल प्रवेश किया जो एक नई इबारत लिख गया जो एक इतिहास लिख गया आचार्य श्री ने रात्रि विश्राम सदलगा में किया 16 नवम्बर 2021 की बेला में सदलगा के जैन मंदिरों के दर्शन किये

साथ ही संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्या सागर जी के गृहस्थ अवस्था के निवास पर संग्रहित पुरानी सुनहरी यादों को देखा। पुरानी साईकल झूला जिस पर कल के विद्याधर आज के विद्यासागर महाराज झूला करते थे वह साईकल जिसे वह चलाया करते थे। वह पुराने बर्तन रसोई आदि तस्वीरों का उत्सुकता के साथ अवलोकन किया। व अभिभूत हुए अवलोकन कर स्थानीय श्रावको से जानकारी प्राप्त की।

श्री राजेश पंचोलिया ने बताया कि उल्लेखनीय प्रसंग है कि
वर्ष 1971 किशनगढ़ में तृतीय पट्टाचार्य आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री वर्द्धमान सागर जी एवम आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विद्या सागर जी 15 दिन एक साथ रहे है। उसके बाद पुनः दोनो महान आत्माओ के मिलन का शुभ अवसर नही आया

दोनो ही आचार्य 50 वर्षों से अधिक दीक्षित अवधि के है। उन्होंने बताया कि प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवती आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज दक्षिण 20 वी सदी के महानतम आचार्य है सदलगा के आचार्य श्री विद्या सागर जी उत्तर भारत बुंदेलखंड जैन साधु के पर्याय है। वही उत्तर भारत सनावद खरगोन के वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज की बाल ब्रह्मचारी पट्ट परम्परा में पंचम पट्टाधीश पद को सुशोभित कर कर्नाटक प्रान्त में वर्ष 1993,2006, 2018 में रहकर महती धर्म प्रभावना की है।

अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमडी