हम तो इतने भोले हैं कि हमको पता ही नहीं कि गलती कब कि, जब फल मिलता है ,तब पता चलता है: मुनिपुंगव श्री सुधासागर

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निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
भगवान तो जानते हैं उसके अनुभूति नहीं करनी क्योंकि भगवान जो अनुभव करते हैं, वह हमें भगवान बने बगैर नहीं होगा
1.भगवान को जानते हैं वह सच्चा है, भगवान के सामने जाते ही भगवान आप प्रमाण हो,शास्त्र के सामने जाते हैं तर्क वितर्क नही करना शास्त्र ही प्रमाण है,गुरु के सामने जाते ही गुरु आप ही प्रमाण हो।
2.हम तो इतने भोले हैं कि हमको पता ही नहीं कि गलती कब कि, जब फल मिलता है ,तब पता चलता है कि कर्म मेने किया,अदृश्य शक्ति काम करती हैं, सर्वज्ञ भगवान का प्रमाण पत्र चाहिए।
3.सृष्टि के कुछ रहस्य इतने सुक्ष्म है कि उनको हम पता ही नहीं चलता है ,फल मिलता है ,तब पता चलता है कि यह कर्म मैंने किया,आत्मा नकारती है कर्म मैंने किया ही नहीं,कर्म से कभी गलती हो ही नहीं सकती है तो बीच में सर्वज्ञ भगवान आते हैं ,क्योंकि कर्म पर हमें विश्वास नहीं है, जड़ है,जीव अपनी गलती स्वीकार नहीं करेगा,कर्म कहता है मैं कभी गलती करता ही नहीं,तब सर्वज्ञ भगवान आते है,सर्वज्ञ भगवान का पक्ष हमारे विरुद्घ जाते,कर्म के साथ जाते हैं।
4.मेरा मन तो वह है जो भगवान,शास्त्र गुरु ने जो कहा, वो है, मेरा मन मानता है मेरा मन तो कीमती है लेकिन मेरा मन तो गाली में जा रहा है, दुश्मन ने जो गाली दी थी उसको याद रखता हैं।
5.जितनी जितनी हम अपनी वचनों की कीमत समझेंगे, उतना उतना हम कम बोलेंगे।
6.जिस दिन सभी पदार्थो को पर मानकर, उन्हें छोडते जाएंगे, तो एक दिन मैं भी पर हो जाओंगा।
शिक्षा-मेरा मन बहुत किमती है वह भगवान गुरु और शास्त्र के अलावा और कोई को नहीं जाना चाहिए।
संकलन ब्र महावीर