जैन समाज का बढ़ा मान, 6 जैनियों को मिला श्रेष्ठ सम्मान,हार्दिक अभिनंदन #Padam_Shri_2020

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सान्ध्य महालक्ष्मी / 11 नवंबर 2021
जब जैन समाज को गौरवान्वित करने कोई आगे आते हैं, गर्व की अनुभूति होती है। सोमवार, 08 नवम्बर को राष्ट्रपति भवन में उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी द्वारा पदमश्री सम्मान दिये जा रहे थे, तो उसमें छह जैन बंधु पूरे समाज का गौरव बढ़ा रहे थे।
जानिये उनके बारे में, आखिर क्या धमाल किये हैं इन्होंने :-


1. बिमल कुमार जैन (सामाजिक कार्यों हेतु) : आगामी स्वतंत्रता दिवसे से पहले बिहार के 75 हजार लोगों से संकल्प कराने की मुहिम लेकर बढ़ रहे हैं 64 वर्षीय मुंगेर शहर के जुबलबेल चौक के बिमल कुमार जैन (दधीचि देह दान के माध्यम से) दृष्टिहीन-दिव्यांगों के जीवन में फिर उजाला लाने के लिये अग्रसर हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता और जेपी आंदोलन से जुड़े बिमल कुमार जैन फिलहाल पटना में भारत विकास परिषद विकलांग अस्पताल (न्यास) चलाते हैं, जिसके माध्यम से उन्होंने 35 हजार से अधिक दिव्यांगजनों को आर्टिफिशियल सपोर्ट लगाने का कीर्तिमान बनाया है।


2. डॉ. मीनाक्षी जैन (शिक्षा और साहित्य) : एक इतिहासकार और टाइम्स आॅफ इंडिया के पूर्व संपादक गिरिलाल जैन जी की बेटी, डॉ. मीनाक्षी जैन ने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की। उन्होंने नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय में काम करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में इतिहास की सहायक प्रोफेसर हैं। आपकी मुख्य कृतियां सामानांतर मार्ग व राम और अयोध्या हैं।


3. डॉ. शांति जैन (मरणोपरांत) (कला) : बुंदेलखंड के छतरपुर के बकस्वाहा में 04 जुलाई 1946 को जन्मी और आरा में पली-बढ़ी, एचडी जैन कॉलेज, आरा में संस्कृत विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत हुई। 1970 के दशक में आॅल इंडिया रेडिया से इनका गाया मानस पाठ काफी लोकप्रिय हुआ। एक कवियत्री, अच्छी लोकगायिका के साथ स्थापित गीतकार, बहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉ. शांति जैन ने पिछले 24 वर्षों में 3000 से ज्यादा विदेशों में प्रस्तुतियां दीं। आपको 1983 में पहली पुस्तक ‘चैती’ के लिये राजभाषा सम्मान मिला और अब तक 40 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। गत 02 मई 2021 को पटना में लोहनीपुर में आपका निधन हो गया। मरणोपरांत मिले पदम श्री सम्मान को आपकी बड़ी बहन शारदा जैन ने प्राप्त किया।


4. डॉ. नेमनाथ जैन (व्यापार और उद्योग): कृषि, सोयाबीन और शिक्षा के विकास तथा समाजसेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले डॉ. नेमनाथ जैन प्रेस्टिज औद्योगिक एवं शिक्षण समूह के संस्थापक हैं और आज आपकी पहचान सोया मैन आॅफ इंडिया के रूप में होती है। आपका परिवार भारत-पाक विभाजन के बाद लाहौर से आकर इंदौर में बस गया था, तब आपकी उम्र मात्र 16 वर्ष थी। मध्य प्रदेश के प्रख्यात इंजीनियरिंग कॉलेज एसजीएसआईटीएस से इंजीनियरिंग करने के बाद आपने कुछ समय नौकरी की, फिर प्रेस्टिज औद्योगिक समूह की स्थापना की, जो आगे चलकर सोयाबीन प्रसंस्करण एवं सोया उत्पादों के निर्माण में देश की प्रतिष्ठित कंपनियों में शामिल हो गई।


5. प्रो. सुधीर जैन (विज्ञान एवं इंजीनियरिंग) : 1959 में जन्मे, प्रोफेसर के रूप आईआईटी, गांधीनगर में पढ़ा रहे प्रो. सुधीर कुमार जैन का उस आईआईटी में निदेशक का तीसरा टर्म चल रहा है। भूकंप इंजीनियरिंग शिक्षा, रिसर्च, सेसेमिक डिजाइन कोड्स, भूकंप के बाद स्थिति पर आप निरंतर गहन अध्ययन कर रहे हैं। आपको 1979 में थॉमसन मेमोरियल गोल्ड मेडल और 1982 में राबर्ट ए मिलिकन फेलोशिप भी मिल चुकी है। आप विकासशील देशों में भूकंप इंजीनियरिंग की शिक्षा, रिसर्च गतिविधियां व विकास पर पूरा ध्यान केन्द्रित रखते हैं।


6. डॉ. श्री प्रकाश कोठारी (शिक्षा एवं साहित्य) : वर्तमान में अमरीकन सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज आयोग, वाशिंगटन) के इकोनॉमिक एवं रिस्क एनालिसिस डिविजन के मुख्य अर्थशास्त्री व निदेशक के पद पर हैं। इससे पूर्व एमआईटी स्लोन स्कूल आॅफ मेनेजमेंट में प्रबंधन के प्रोफेसर भी थे तथा जर्नल आॅफ एकाउंटिंग एंड इकोनॉमिक्स के सम्पादक भी रहे। 2008-09 में बार्सलेज ग्लोबल इनवेस्टर्स के इक्विटी रिसर्च के ग्लोबल हेड थे, जिसका 11 जून 2009 को ब्लेक रॉक ने अधिग्रहण कर लिया था। आपने पिलानी के बिड़ला इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नालॉजी एंड साइंस में केमिकल इंजीनियरिंग में बीई तथा फिर अहमदाबाद आईआईएम से एमबीए तथा लोवा विश्वविद्यालय से पीएचडी की।

सभी 6 सम्मानीय जैन बंधुओं ने न केवल पूरे समाज का गौरव ही नहीं बढ़ाया, बल्कि राष्ट्र के विकास में भी अतुलनीय योगदान किया है। सान्ध्य महालक्ष्मी सभी का, इस सम्मान को प्राप्त करने पर, हार्दिक अभिनंदन करता है।