जनम से पहले प्रार्थना श्रीमहावीरजी में,दीक्षा भी वहीं,पहला केशलोचन भी वहीं,अब जाना भी वहीं:आचार्य श्री वर्द्धमानसागर जी

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गुरुओं की भक्ति से राग उत्पन्न होता है तथा देव शास्त्र गुरूओ की भक्ति से कर्मो का नाश भी होता है

आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ने कहा किआज पिच्छी परिवर्तन संदेश दे रहा है कि अब संघ का श्री महावीर जी के लिए विहार होना है श्री महावीर जी मे संघ सानिध्य में महामस्तकाभिषेक होना है, भगवान महावीर जहाँ प्रगट हुए है, उस अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी से हमारा दोहरा संबंध है, हमारे जन्म के पूर्व हमारी जन्म दात्री माताजी ने श्री महावीर जी के शिखर पर उल्टा स्वस्तिक बनाकर संतान की लंबी आयु की कामना की , यह संयोग रहा कि हमारी दीक्षा श्री महावीर जी मे हुई तथा केशलोचन भी वही हुए

आज अनेक नगरों ने संघ आगमन के लिए निवेदन किया है आप की भक्ति अनुकरणीय है संघ को श्री महावीर जी का विहार पुनः प्रारम्भ करना है
आगामी रविवार 14 नवम्बर 2021 को संघ का कोथली से विहार होगा
संघ सानिध्य में श्री श्रवण बेलगोला में 3 तथा श्री धर्म स्थल पर 3 तथा अन्य क्षेत्रों पर भी महामस्तकाभिषेक हुए है

वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी की पिच्छी का सौभाग्य किशनगढ़ के कासलीवाल परिवार को मिला

प्रथमाचार्य चारित्र चक्र वति आचार्य श्री शांति सागर जी गुरुदेव की अक्षुण्ण मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परम्परा के पंचम पट्टाधिश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी आचार्य श्री वरदत्त सागर जी संघस्थ साधुओ एवम संघस्थ साधुओ की पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम कोथली में काफी धर्म प्रभावना के साथ संपन्न हुआ
इसके पूर्व 06-11-2021 दोपहर को मराठी भाषा मे अनुवादित धवला ग्रंथो का पूजन आचार्य संध सानिध्य में हुआ

06-11-2021 को प्रातः विशाल शोभायात्रा वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी सानिध्य में श्री जिनवाणी माता की प्रारम्भ हुई, जलूस के प्रारम्भ में बेंड बाजो के पीछे हाथी पर जिनवाणी लेकर बैठने का सौभाग्य श्रीमती पूर्वा समर स्पर्श कंठाली इंदौर को प्राप्त हुआ, हाथी के पीछे 108 जैन धर्म के ध्वज लेकर युवक जलूस की शोभा बढ़ा रहे थे,वही 108 मंगल कलश कन्याएं मस्तक पर धारण कर चल रही थी

24 पालकियों में चारो अनुयोगों के ग्रथों में पालकियों में समाज की श्राविकाएं ले कर चल रही थी
माँ जिनवाणी के आस पास चवँर भी लेकर महिलाएं शोभा यात्रा की शोभा में वर्द्धि कर रही थी
आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी सहित 40 साधुओ का विशाल संघ भी शामिल रहे
आचार्य श्री के पीछे रजत पालकी में नूतन ग्रंथ विराजित थे
रथ में वात्सलय वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी की नूतन पिच्छिका ले कर चलने का सौभाग्य आदरणीय श्री विजय जी कासलीवाल परिवार किशनगढ़ को प्राप्त हुआ

जलूस के समापन के पश्चात आचार्य श्री संघ की आहार चर्या हुई आहार चर्या और। सामायिक के पश्चात दोपहर को आचार्य श्री संघ सहित सभागृह पंडाल में पहुंचे जुलूस के साथ महिलाएं नूतन पिच्छिकाये सिर पर धारण करके चल रही थी
कार्यक्रम के प्रारम्भ के आचार्य श्री शांति सागर जी एवम पूर्वाचार्यो के चित्रों का अनावरण एवम दीप प्रवज्जलन श्री विजय जी कासलीवाल किशनगढ़ द्वारा सपरिवार किया गया
संघस्थ बाल ब्रह्मा दीप्ती दीदी एवम पूनम दीदी ने पिच्छी पर मंगलाचरण किया
सभी पूर्वाचार्यो को अर्ध समर्पित किये गए

क्षुल्लक जी आर्यिका माताजी तथा मुनिराजों ने पुरानी पिच्छी आचार्य श्री को दी
भक्त गणों ने नूतन पिच्छी आचार्य श्री को दी तथा आचार्य श्री ने पुरानी पिच्छी सौभाग्य शाली परिवारों को दी
वही आचार्य श्री की शिष्या आर्यिका श्री महायशमती जी की पुरानी पिच्छी सात समंदर पार विदेश अमेरिका U S A में निवास रत गृहस्थ अवस्था की मित्र श्रीमती रुचि श्री वरुण जी पहाड़े पैठण को प्राप्त हुई
आचार्य श्री की सायंकाल हजारो दीपो से महा आरती की गई
पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम में कोथली कोप्पन वाडी निकट के नगरो महाराष्ट्र तमिलनाडु मध्यप्रदेश पश्चिम बंगाल राजस्थान असम सहित अनेक राज्यो से भक्त आये

– राजेश पंचोलिया इंदौर