उम्र का कोई तकाजा नही – पिंचानवे (95)की उम्र में चले पड़े साधक परमेष्ठी के मार्ग पर- गुरु कृपा से बनी पूज्या क्षुल्लिका

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गुरु कृपा से बने पूज्या क्षुल्लिका श्री अंदेश्वर मति माताजी

वैराग्य व संयम के सौभाग्य को पाने के लिए उम्र का कोई तकाजा नही,कोई किशोरावस्था में तो,कोई युवावस्था में ,तो कोई वृद्धावस्था में इस खुशनसीबी को पा लेता है।

भगवान पार्श्वनाथ स्वामी के पावन अतिशय से महकती हुई विश्व विख्यात धरा श्री अंदेश्वर पार्श्वनाथ जी मे राष्ट्र गौरव चतुर्थ पट्टाचार्य युवा महाऋषि श्री सुनीलसागर जी गुरूराज के वरदानदायी हस्तकमलो से दिनांक 30 ऑक्टोम्बर 2021 को खमेरा नगरी की गौरव सप्त प्रतिमा धारी 95 वर्षीय दादी ब्रह्म.लालु देवी को आज क्षुल्लिका दीक्षा प्रदान की गयी।

नव दीक्षित वयोवृद्ध क्षुल्लिका श्री अंदेश्वरमति माताजी की वैयावृत्ति व साधना में सेवा हेतु आचार्य श्री ने अपने संघ की आर्यिका माताजीओ को भी आज्ञा पूर्वक नियुक्त किया।

पूज्यवर आचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरुराज का वर्तमान में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सन्त संघ है जिनमे वे स्वयं कुशल नेतृत्वकर्ता व दक्ष गुरु की तरह दृढ़ अनुशासन,आपसी स्नेह,भरपूर वात्सल्य के साथ युवा व वृद्ध समस्त सन्तो को संजोए हुए है,निश्चित रूप से युगश्रेष्ठ आचार्य शिरोमणि तपस्वी सम्राट श्री सन्मति सागर जी ऋषिराज की अतिशय पारखी दूरदृष्टि ने आपकी विलक्षण संघ नायक क्षमता को भांप लिया था।

जहाँ आज 5-6 सदस्यों से भरा एक परिवार भी शांति व सौहार्द के साथ मे बड़ी मुश्किल से रह पाता है वही आचार्य भगवन्त श्री सुनीलसागर जी गुरूराज की अनूठी क्षमता से 60 से अधिक सन्त एक विशाल संघ परिवार के रूप में साथ रहते है जिसमे हर उम्र के साधु भगवन्त गुरु आज्ञा व वात्सल्य निश्रा में संयम की महान साधना कर रहे है।
ऐसे विशाल सन्त संघ के वात्सल्य नायक चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनीलसागर जी ऋषिराज को कोटिशः नमन

-शाह मधोक जैन चितरी