बिटियो को संस्कारित करने, विलुप्त अहिंसक वस्त्रों हेतु हथकरघा एवम विश्व की सबसे पहली अहिंसक आयुर्वेदिक चिकित्सा को पुनर्जीवित करने वाले परम् उपकारी श्रमणेश्वर, आचार्यश्री के अनन्त उपकार…

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पूज्यवर, यतिवर आचार्यश्रेष्ठ कुन्दकुन्द स्वामी समन्त्रभद्र जैसी चतुर्थकालीन निर्दोष चर्या पालक, ज्ञान विद्या के संगम, रत्नत्रय त्रिवेणी के प्रयागराज, महासाधक

300 से अधिक बालब्रह्मचारी मुनिराजों, आर्यिका माताजी, एलक क्षुल्लक के दीक्षा प्रदाता

सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर में विश्वप्रसिद्ध गगनचुंबी, अकृत्रिम जिनालय के अनुरूप बड़े बाबा के भव्य जिनालय, नेमावर की त्रिकाल चौबीसी, रामटेक के अतिभव्य जिनालय, नमर्दा उद्गम स्थल अमरकंटक में भव्य विशाल जिनालय, छतीसगढ़ के प्रथम तीर्थ चन्द्रगिरि सहित अनेको जिनालयों का निर्माण आचार्यश्रेष्ठ की पावन प्रेरणा से ही सम्भव हो सका

अतिभव्य जिनालयों के सर्वाधिक पँचकल्याणक आचार्यश्री की पावन निश्रा में सम्पन्न हुए

बिटियो को संस्कारित करने भारतीय शिक्षा पद्धति के अनुरूप अनेकों प्रतिभास्थली के जनक प्राचीन भारत के पूरे विश्व मे धाक जमाने वाले विलुप्त अहिंसक वस्त्रों हेतु हथकरघा एवम विश्व की सबसे पहली अहिंसक आयुर्वेदिक चिकित्सा को पुनर्जीवित करने वाले आचार्यप्रवर के करुणामय आशीष के कीर्तिस्तंभ है

हे महावीर के जीवंत प्रतिरूप!
मुझ जैसे अबोध, निपट अज्ञानी, छोटे से भक्त को शास्वत जिनधर्म का मर्म बता कर जिनपथ पर चलने का संकेत दिया
हे अनन्त उपकारी महासन्त ! आपके अनन्त, उपकारों का वर्णन करने मैं तो क्या बड़े बड़े ज्ञानी, ध्यानी भी समर्थ नही है

बड़े बाबा के पावन चरणों मे यही भावना, कामना आचार्यश्री चिरकाल तक जयवंत रहे गुरुदेव दीर्घायु हो, पूर्णायु हो, शतायु हो चिरायु हो
आज शरदपूर्णिमा के पावन पर्व पर श्रमण सुधाकर के पावन चरणों मे भाव शब्द सुमन….

– राजेश जैन भिलाई