यह आगरा का बड़ा मंदिर कहलाता है। यह मंदिर जैसा ऊपर बना है इसका भोंयरा (तलघर) भी हूबहू वैसा ही बना हुआ है। यहां तक की वेदी भी वैसी ही बनी है। संकट काल में प्रतिमाएं नीचे पहुंचा दी जाती थी। इसमें मूल वेदी भगवान श्री 1008 सम्भवनाथ जी की है। गंधकुटी में कमलासन विराजमान श्री सम्भवनाथ भगवान जी की प्रतिमा श्वेत पाषाण की एक फुट आवगाहना की है। भगवान पद्मासन में विराजमान है। नीचे घोड़े का लांछन है। मूर्ति लेख के अनुसार इस प्रतिमा की प्रतिष्ठिता संवत् 1147 माघ मास की शुक्ल पंचमी गुरुवार को हुई थी। इस प्रतिमा में बडे अतिशय है। ऐसा माना जाता है कि देव लोग रात्रि में इसकी पूजा के लिए आते है।
इसके अलावा मंदिर मे बांयी ओर की पहली वेदी में भगवान पार्श्वनाथ जी की सवा तीन फुट आवगाहना पद्मासन मुद्रा, श्वेत पाषाण की फणमंडित प्रतिमा है। यह संवत् 1272 माघ सुदी 5 को प्रतिष्ठित हुई थी।
दायें हाथ की वेदी में मटमैले पाषाण की दो भव्य चौबीसी है। एक शिलाखंड में बीच में एक भव्य तोरण के नीचे पार्श्वनाथ जी मूर्ति है। इधर उधर दो दो पंक्तियों में दस दस प्रतिमाएं है। इनके ऊपर एक एक प्रतिमा विराजमान है। ये चौबीसी संवत् 1272 माघ सुदी 5 को प्रतिष्ठित हुई थी।
यहां का हस्तलिखित शास्त्र भंडार अत्यंत समृद्ध है। इसमें लगभग दो हजार हस्तलिखित ग्रंथ है। यहाँ पाषाण और धातु की मूर्तियों की संख्या लगभग छः सौ है। आगरा जैन मंदिर समूह मे काफी प्रसिद्ध मंदिर है।
नाम :- श्री अग्रवाल दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, मंटोला, मोती कटरा, आगरा, उत्तर प्रदेश।
पता :- श्री अग्रवाल दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, 9/575, दलसेब का चौराहा, मंटोला, मोती कटरा, ग्राम / नगर – आगरा, जिला – आगरा (उत्तर प्रदेश)