इस पंचमकाल में चतुर्थ काल जैसी साधना में लीन दिगम्बर जैन मुनि अनुत्तर सागर जी – 183 दिन में 153 उपवास और 33 पारणा

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तीर्थ राज सम्मेद शिखर जी
1100 उपवास पूर्ण
आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के परम शिष्य , महा तपस्वी , प्रथमानुयोग के कुशल ज्ञाता , मौन साधनारत मुनि श्री 108 अनुत्तर सागर जी महराज

मुनि श्री सिंह निष्क्रीडित व्रत की कठिन साधना 14/05/21 से कर रहे है। जिसमे 183 दिन में 153 उपवास और 33 पारणा होगी यह व्रत 15/11/21 को समाप्त होगा
आपने 2020 में 217 निर्जल उपवास

2021 में आपका लक्ष्य 240 से ऊपर निर्जल उपवास का था जो पूर्णता की ओर है
अभी तक आप ने
चौसठ ऋद्धि व्रत के 64 उपवास
तपशुद्धि के 78 उपवास
दुःखहरण के 68 उपवास
सुख कारण के 68 उपवास
सर्वतोभद्र के 75 उपवास
शांतकुंभ के 45 उपवास
नवकार के 35 उपवास
ब्रजमध्य के 29 उपवास
नक्षत्रमाला के 27 उपवास
भावनाविधि के 25 उपवास
पञ्चविंशति कल्याणमाला के 25 उपवास
दर्शन विशुद्धि के 24 उपवास
दीपमालिका के 24 उपवास
तपोरुजलि के 24 उपवास
तीर्थंकर व्रत के 24 उपवास
बारह बिजोरा के 24 उपवास सम्यक्त्व चतुर्विंशति के 24
समवसरण के 24 उपवास
आदि कई तरह के व्रत विधि पूर्वक पूर्ण कर चुके है।

आपके चारित्र शुद्धिव्रत के 1100 उपवास निर्जन हो गए तथा 134 बाकि जो कुछ ही समय मे पूर्ण हो जाएंगे आपका 22 मई 2022 तक मौन है।

धन्य है ऐसे योगीश्वर , उनकी साधना को कोटिशः नमन