पाप किया है कोई बात नहीं, पाप कहां हुआ यह चिंता की बात है : शयन कक्ष मैं भोजन करना अपनी जिंदगी को बर्बाद करना है : मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी

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चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी – निर्यापक श्रमण श्रमण संस्कृति संस्थान प्रदाता मुनि पुंगव108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
शयन कक्ष मैं भोजन करना अपनी जिंदगी को बर्बाद करना क्योंकि शयन कक्ष मे सोने का संकल्प है

1.घर मे क्या-घर में एक ऐसा ऐसी जगह बनाना है, जहां पर पवित्र कार्य करना, पवित्र कार्य करना है, पवित्र सोचना है, पवित्र वचन पवित्र कार्य करना है, शयन कक्ष मैं भोजन करना अपनी जिंदगी को बर्बाद करना है,क्योंकि शयन कक्ष मे सोने का संकल्प है, उसके अलावा कोई कार्य नहीं होना चाहिए

2.फल कहां-पाप किया है कोई बात नहीं, पाप कहां हुआ यह चिंता की बात है, पाप है यह पहचानना है, पाप हो गया यह पहचानना है, पाप सिद्ध क्षैत्र में हुआ, कहां हुआ, हम पाप करते हैं, लेकिन जो पाप कार्य होना है, उसकी निश्चित जगह उसी जगह करें ,वहां वह कार्य करने पर ज्यादा फल मिलता हैं ,वास्तु मे जहां भोजन करना है ,वही भोजन करने को कहा,जहां शौच जाना है, वही शोच करना उसका महत्व है ,जो होना है वहां करना ,उसका फल अधिक मिलता है

3.कहाँ हुआ ये देखो-स्वभाव में छेड़छाड़ मत करो, जन्म मरण में चिंता मत करो, कुछ होना निश्चित है, लेकिन क्या होगा यह निश्चित नहीं है, क्या हुआ है इस पर विचार करो, नहीं कहीं ना कहीं तो कुछ होगा, कहां होगा विचार मत करो, कहीं ना कहीं होगा, चिंता इस बात की है कि नरको में झगड़ा हुआ, यह तो होता ही रहता है, दोनों में झगड़ा हुआ तो चिंता का विषय हैं।

4.कुछ होना-यह जो कुछ हो रहा होगा,होगा हो चुका है ,यह सब कुछ वस्तु की व्यवस्था हैं कुछ होना और जो कुछ भी होना यह दोनों में अंतर है कुछ होना है यह नियत है वस्तु का स्वभाव है, व्यय होना स्वभाव हैं, द्रव्य में कुछ मिटता जरूर है स्वयं के द्रव्य को मिटना रोक सकते हैं, वह नया नहीं होगा ,सृष्टि में नया होगा प्रतिक्षण मिट रहा है , मिटने को दुर होना का पुरुषार्थ करना बंद कर दो, मरना निश्चित हैं जिसमें हमारा मरना निश्चित है, वह व्यक्ति फिर भी डर रहे हों।

प्रवचन से शिक्षा-जो होना है वहां वो कार्य करना उसका फल अधिक मिलता है।
सकंलन ब्र महावीर विजय धुर्रा 7339918672