92 वर्षीया आर्यिका दुर्लभ मति माताजी यम सल्लेखना का 16वा दिन-18 उपवास : 40 साधुओंका सानिध्य और उनका उपदेश

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कोथली में आचार्य श्री देशभूषण महाराज की जन्म स्थली पर आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के निर्यापकत्व में 92 वर्षीय श्री दुर्लभ मति माताजी की यम सल्लेखना का आज 16 दिन था और अनवरत उपवास की श्रंखला में 18 वा दिन था। पहले अनंत चौदस का उपवास किया था आर्यिका श्री ने और फिर अगले ही दिन आहार नहीं लिया ।

इस प्रकार 16 दिन और 18 उपवास हुए । आर्यिका श्री के आज भी परिणाम बिल्कुल शांत और मुद्रा आनंद के साथ है। आज भी आचार्य श्री ने निर्यापकत्व की भूमिका निभाते हुए आर्यिका श्री दुर्लभ मति माताजी को संबोधन दिया, तीर्थों के चित्रों के द्वारा दर्शन कराएं। यही नहींआर्यिका श्री ने आचार्य श्री को नमोस्तु किया, प्रतिमा के चरण छुए, अभिषेक देखा और चित को शांत रखा। इस समय 40 साधुओं का सानिध्य और उपदेश उनको मिल रहा है।

गणिनी आर्यिका सरस्वती माताजीसे दीक्षित और वात्सल्यवारिधी आचार्य श्री वर्द्धमान सागरजीके निर्यापकत्व में बहुत ही बढ़िया क्षपकोत्तमा आर्यिका दुर्लभ मती माताजी अपना सल्लेखना साध रहि है परिणाम कितने शांत है, कोई आकुलता नहीं है रोजाना भगवान का अभिषेक देखना गुरु भक्ति करना सभी क्रिंयांए बराबर चालु है भगवान ऐसि शक्ति दे अंतिम समय तक सब चलता रहे और सभी लोग यही भावना भाए शांति से भगवान नामस्मरण करते हुए समाधि मरण हो ।

92 वर्षीय क्षपकोत्तमा पूज्य आर्यिका श्री दुर्लभ मति माताजी जिन्होंने दुर्लभ मानव पर्याय का सदुपयोग कर नारी पर्याय को सर्वोच्च साधिका पद को धारण कर चारो प्रकार के आहार का त्याग कर दिनांक 21 सितम्बर 2021 को वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी संघमुनि श्री महिमा सागर जी संघ तथा गणनी आर्यिका श्री सरस्वती मति माताजी संघ सानिध्य में किया

सच मे बहुत सौभाग्य शाली है। जिन्हें क्षपक साधु की तन्मयता एकाग्रता गुरुभक्ति देखने को तथा आचार्य श्री मुनिराजों गणनी माताजी तथा अन्य साधुओ का सम्बोधन वात्सल्य भी सहज मिल रहा है

णमोकार मंत्र की माला फेर कर क्षपकोत्तमा आर्यिका माताजी के अद्युत साहस की अनुमोदना कर सकते है
राजेश पंचोलिया इंदौर