यम सल्लेखना का 12वा दिन, निर्यापकाचार्य श्री वर्धमान सागर जी के सानिध्य में आर्यिका दुर्लभमति माताजी उत्कृष्ट समाधि की ओर

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कोथली,। श्री शांति वीर शिवधर्माजीत वर्द्धमान सुर्रिभ्यो नमः
तेरी छत्र छाया भगवन मेरे सिर पर हो मेरा अंतिम मरण समाधि तेरे दर पर हो

आज क्षपकोत्तमा पूज्य आर्यिका श्री दुर्लभ मति जी का 12 वा उपवास
पर्युषण पर्व क्षमावाणी 21 सितम्बर से प्रारम्भ यम सल्लेखना

12 का अंक क्या संदेश दे रहा है
12 श्रावक के 12 व्रत 5 अणुव्रत 3 गुणव्रत 4 शिक्षा व्रत
12 तप अंतरंग ओर ब्राह्य
12 उपयोग
12 अविरति
12 भावनाएं अनुप्रेक्षा
12 इन्द्र 16 वे स्वर्ग में
12 वचन
12 समवशरण के कोठे
12 चक्र वति
12 यक्ष व्यंतर देव
12 मुक्त जीव के भेद
12 अंग प्रविष्ट श्रुत ज्ञान
कषाय

92 वर्षीय क्षपकोत्तमा पूज्य
आर्यिका श्री दुर्लभ मति माताजी
जिन्होंने दुर्लभ मानव पर्याय का सदुपयोग कर नारी पर्याय को सर्वोच्च साधिका पद को धारण कर चारो प्रकार के आहार का त्याग कर दिनांक 21 सितम्बर 2021 को वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी संघमुनि श्री महिमा सागर जी संघ तथा गणनी आर्यिका श्री सरस्वती मति माताजी संघ सानिध्य में किया

सच मे बहुत सौभाग्य शाली है। जिन्हें
क्षपक साधु की तन्मयता एकाग्रता गुरुभक्ति देखने को तथा आचार्य श्री मुनिराजों गणनी माताजी तथा अन्य साधुओ का सम्बोधन वात्सल्य भी सहज मिल रहा है
णमोकार मंत्र की माला फेर कर क्षपकोत्तमा आर्यिका माताजी के अद्युत साहस की अनुमोदना कर सकते है

राजेश पंचोलिया इंदौर