आप के जीवन मे धर्म है लेकिन श्रद्धा नही है संकल्प नही है विश्वास नही है -अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर

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गुटने के बल चलते-चलते पैरो पर चल जाते है छोटे-छोटे नियम एक दिन बड़े हो जाते है…अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर
सम्मेदशिखरजी जैसा कर्म करोगे वैसा भोगने के लिए तैयार रहो क्योकि कर्म किसी को नही छोड़ते है। साधु, त्यागी व्रतियों की अभेहलना नही करे वरना निश्चित दुर्गति को प्राप्त होगे।

आज तीर्थ राज सम्मेद शिखर जी चारो तरफ धर्म चर्चा का आंनद चल रहा है। साधु सन्तो मुख की प्रतिध्वनि मधुवन में गुंजयमान है। इसलिए श्रद्धा से पहाड़ की बन्दना कीजिये और बन्दना करने वालो की अनुमोदना कीजिये। यह बात अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज ने तीर्थ राज सम्मेदशिखर जी बींस पंथी सभाग्रह में भक्तो से कहीं …उन्होंने अष्टनिका महापर्व के अवसर पर राजा श्री पाल ओर मैना सुंदरी के जीवन चरित्र का व्रतांत बताते हुए कहा कि भगवान पर श्रद्धा रखने पर गंधोदक लगाने मात्र से राजा की कोड की बीमारी का नाश हो गया है।

आप के जीवन मे धर्म है लेकिन श्रद्धा नही है संकल्प नही है विश्वास नही है। इसे जाग्रत करने की आवश्यकता है । मुझ से किसी ने पूछा गुरुदेव पहाड़ की वंदना कितनी लम्बी है मेने कहा मात्र एक कदम…. ? भक्त ने पूछा कैसे मेने कहा मैं मन मे संकल्प हो की मुझे पारस नाथ भगवान के दर्शन करना ही है तो दूरी बस एक कदम की ही है।

इस अवसर पर गुरुदेव द्वारा धर्म प्रचार के लिए कार्य कर रहे भक्तो का सम्मानित कर उन्हें आशीर्वाद दिया। जहाँ गुरुदेव ने सामाजिक पत्रिका ” का विमोचन किया। कार्य कर रहे भक्तो को धर्म प्रभावना का आशीर्वाद दिया। जानकारी देते हुए प्रवक्ता रोमिल जैन पीयूष कासलीवाल नरेंद्र अजमेरा ने बताया कि गुरुदेव आगामी 21 जुलाई से अपनी महा साधना की ओर बढ़ चुके है। जिसे लेकर गुरुदेव ने कहा कि था कि अब मुझे अपने मे रमना है और आप को पीयूष सागर महाराज को सुनना है साधना समय मे उनकी भक्ति को स्वीकारना है। उनकी भक्ति ही मेरी भक्ति समान है इस अवसर पर डॉ. संजय जैन, विवेक गंगवाल,आकाश जैन,सजन बन्टी जैन, त्रिलोक जैन अहिंसा ,पंडित विजय भाई, नरेंद्र अजमेरा, पीयूष कासलीवाल , मनोज चौधरी, दिलीप कासलीवाल जिनेंद्र कासलीवाल आदि मौजूद थे।

– पियुष नरेंद्र रोमिल जैन