#पुष्पगिरी_तीर्थ में बनेगा #तरुणसागरजी का मंदिर : गणाचार्य #पुष्पदंत_सागर

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पुष्पगिरी/सोनकच्छ : 2 सितंबर 2021:- अपने क्रांतिकारी व्यक्तित्व के साथ देश व दुनिया में अपने कड़वे-प्रवचनों के लिए मशहूर रहे समाधिस्थ आचार्यश्री तरुणसागरजी महाराज का समाधि दिवस का अवसर था उनके शिष्य श्री पर्वसागरजी महाराज और उनके गुरु गणाचार्यश्री पुष्पदंत सागरजी महाराज के आशीर्वाद व मार्गदर्शन में मानवसेवा तीर्थ पुष्पगिरी मध्यप्रदेश सहित मुख्य रूप से देश के 108 स्थानों पर समाधि दिवस के आयोजन हुए | जिसमे मुख्य आयोजन मानवसेवा तीर्थ पुष्पगिरी पर हुआ जिसमे आज संतश्री तरुणसागरजी महाराज की 11 इंच की अस्टधातु से निर्मित प्रतिमा (मूर्ति) की प्राण प्रतिष्ठा गनाचार्यश्री के करकमलों से मुनिश्री सौरभसागरजी व पर्वसागरजी के साथ सैकड़ों गुरु भक्तों के बीच कार्यक्रम के अनर्गत हुई | प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के समय गणाचार्यश्री पुष्पदंतसागरजी ने घोषणा की कि आगामी समय में पुष्पगिरी तीर्थ पर एक और मंदिर बनेगा जो किसी जैन भगवान का नहीं वरन जन जन के दिलों में जिसने भगवान महावीर की स्थापना की ऐसे क्रांतिकारी राष्ट्रसंत तरुणसागरजी महाराज का मंदिर बनेगा | जिसे बनाने का शुभ अवसर तरुण क्रांति मंच गुरुपरिवार भारत प्राप्त करेगा |

सोनकच्छ:- जन जन की आस्था के केंद्र रहे, पूज्य समाधिस्थ क्रन्तिकारी राष्ट्रसन्त आचार्यश्री तरुणसागरजी गुरुदेव का तृतीय समाधि दिवस गुरुवार को पुष्पगिरीं तीर्थ सहित जिसे पूरे देश में “श्री तरुणसागरजी समाधि दिवस – तृतीय तरुण स्मरण पर्व” के रूप में मनाया गया। जहाँ देश भर में कार्यक्रम के अंतर्गत 108 स्थानों पर शांतिविधान रखे गए और शाम को घर घर “दीप-नमन” श्रद्धांजलि दी गई।

इसी तारतम्य में पुष्पगिरीं तीर्थ प्रणेता गणाचार्य श्री पुष्पदन्त सागर जी महाराज, मुनि सौरभ सागर जी महाराज व तरुणसागर जी के एक मात्र शिष्य क्षुल्लक पर्व सागर जी महाराज के ससंघ के सानिध्य में ‘तृतीय तरुण स्मरण पर्व” मनाया गया।

जहाँ गणाचार्य श्री ने भक्तो को आशीर्वचन देते हुए कहा कि तरुण सागर पहले ऐसे भारतीय दिगम्बर जैन संत थे जिन्होंने देश नही पुरे विश्व को जैनत्व की पहचान दी है। भगवान महावीर के संदेश को घर-घर पहुचाया है। आज वे हमारे बीच नही है लेकिन उनके तृतीय तरुण स्मरण पर्व” पर यही कहूंगा कि आज भी उनकी लिखी व कही बाते मानव समाज में एक क्रन्तिकारी कदम है। आज उनके स्मरण में रखा गया शांतिनाथ विधान आप के मन का संविधान लिखता है।

वही संस्कार प्रेणता मुनि सौरभसागर जी महाराज ने कहा कि जिन्होने अपने जीवन के साथ समाधि को भी उत्सव के रूप में मनाया वे सन्त थे तरुण सागर जी महाराज.. उन्होंने अपने जीवन मे कई आयाम हासिल किए। उनके कडवे वचन जीवन भर मिठास का कार्य करते रहेंगे। श्री तरुणसागरजी महाराज की समाधि जब हुई में भी उस समय मुझे भी उनकी समाधि उपरांत संस्कार (अग्नि संस्कार) भूमि पर जाने का अवसर प्राप्त हुआ था और आज उनकी तृतीय समाधि दिवस पर पूजा भक्ति शुभ अवसर प्राप्त हो रहा है बड़ा ही सुखद है |

आयोजन से गुरु सानिध्य व पूर्व शिष्य क्षुल्लक पर्व सागर नेतृत्व में तरुण सागर जी महाराज तृतीय तरुण स्मरण पर्व” को लेकर गुरु आशीर्वाद प्राप्त कर तरुण सागर के चित्र के समक्ष भक्तो द्वारा द्विप्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई। जिसके बाद शान्तिनाथ मंडल विधान की संगीतमय पूजन की गई। जहाँ गणाचार्य व मुनि श्री के मुखारबिंद से मंत्रोउच्चार के साथ गुरुभक्तो मंडल विधान पर श्रीफलार्ग समर्पित किये गए। विधान की मांगलिक क्रियाएं पंडित संदीप शास्त्री सजल द्वारा की गई।

इस अवसर पर गुरुदेव तरुणसागर जी महाराज की भी पूजा व आरती कर पुण्यार्जन किया गया। गुरुदेव के समाधिस्त होने से भक्तो ने उनके शिष्य पर्व सागर से गुरदेव के प्रति अपने विचार साझा कर उनका आशीष लिया। इस अवसर पर सोनकच्छ, जावर, भोपाल, देवास, इंदौर, आगरा(उत्तरप्रदेश) , फिरोजाबाद (उत्तरप्रदेश), सीहोर, पुणे, अहमदाबाद, देहरादून पानीपत (हरियाणा) दिल्ली सहित अनेक स्थानों से गुरु भक्तों ने आकर समाधि दिवस आयोजन में सम्मिलित हुए और गुरूआशीर्वाद लिया |