28 अगस्त 2021 , चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव तर्क वाचस्पति 108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
पति की दृष्टि में पत्नी में कोई गलती है सुधर जाएगी,पत्नी की दृष्टि में पति की की बुराई है पति का कल्याण नहीं हो सकता
1.छोटे टोकें-ऐसा कार्य मत करना, जो आपके छोटे को, आपको टोकना पड़े,यदि आपको बड़े आप को टोकते हैं, तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है, बड़े आपको हमेशा टोकगे, क्योंकि वह आप को सुधारने के लिए आपकी बुराई को दूर करने का अधिकार है, छोटे की दृष्टि में आपकी बुराई आ रही है,तो यह आपके लिए गलत है , ऐसी गलती नहीं करना कि पत्नी,बेटा आपको टोके उसका कल्याण नहीं हो सकता।
2.गलतियों की लिस्ट-आपकी बेटी में कोई ऐसी गलती जो आप नहीं देखना चाहते, गर्भ में आने के 6 महीने पहले से ,आप बेटे में जो गलतियां नहीं देखना चाहते ,उसकी लिस्ट बनाकर रखो, वह सभी गलतियों को माता-पिता भी त्याग कर दें।
3.नारिंया-बेटा ने अभिषेक दर्शन का नियम ले लिया बाप ने, अभी तक नियम नहीं लिया, बाप के लिए शर्म की बात है, बाप गुटखा खाता है, बेटे का गुटखा का नियम हैं, एक नारी दीक्षा लेने जा रही थी, पुरुष ने कहा कि पुरुष बड़ा है और उसने भी दीक्षा ले ली,धर्म मे चौथे काल में पुरुष अपनी नारींया से आगे रहते थे, भरत चक्रवर्ती अपनी 96 हजार रानियों से पहले सुबह उठ कर धर्म करते थें।
4.प्रधान व गौण-आत्मा की स्वयंभू शक्ति दो रूप में विभक्त होती हैं ,एक मुल रुप से एक सहयोगी रुप से होती है, मुल रुप से आत्मा की शक्ति है, वह हमारे अभिप्राय पर आधारित है, संसार में कोई भी वस्तु मुख्य नहीं है, प्रधान नहीं है , किसी भी कारण को मुख्यता नहीं दी गई गोण रूप में नहीं किया गया,नरक जाना चाहते हो, तो क्रोध की मुख्यता है, स्वर्ग जाना चाहते हो क्षमा की मुख्यता कहां जाना है, इसके लिए आपको निर्णय करना है , जिसको अपने आप पर निर्णय करना है, कि क्या करना है जिस रास्ते पर चलूंगा वो सही होगा,मैं जो करुंगा वो सही होगा।
प्रवचन से शिक्षा-स्वयंभू शक्ति को जागृत करने के लिए अपने से कमजोर व्यक्ति के सामने कमजोर मत बनना
सकंलन ब्र महावीर