गृहस्थ अपनाने वाले जैन मुनि को लेकर बड़ा खुलासा:आचार्य सिद्धांत सागर का दावा- सुद्धांत को 3 साल पहले शिखरजी में प्रज्ञा दीदी से प्यार हुआ था, प्रज्ञा से जाने को कहा तो मुनि भी भाग गए

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चैनल महालक्ष्मी इसके बारे में पूरी जांच कर ,आपको रविवार के एपिसोड में वह खुलासे करेगा, जो आप कल्पना भी नहीं कर सकते ।अफसोस होता है जब 25 साल से दीक्षित कोई त्यागी प्रेम प्रसंग में पकड़ा जाता है और जैसी सूचना मिली है कि 26 august देर शाम उन्होंने दीपा से कोर्ट मैरिज भी कर ली है। पूरी जानकारी रविवार को विशेष एपिसोड में चैनल महालक्ष्मी पर रात्रि 8:00 बजे देखिएगा।

देश के एक बड़े अख़बार दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार आगरा की महिला से हुए प्रेम के बाद 25 साल के संत जीवन को त्याग कर गृहस्थ जीवन अपनाने वाले सुद्धांत सागर महाराज उर्फ राकेश जैन को लेकर नई बात सामने आई है। जिस बेला ग्राम में राकेश जैन चातुर्मास के लिए एक महीने पहले पहुंचे थे और आश्रम में उनके साथ मारपीट करने का आरोप लगाया था। वहां के प्रमुख आचार्य सिद्धांत सागर महाराज का कहना है कि मुनि के रूप में राकेश जैन ने जो भी किया है, वह संत समाज के खिलाफ है। आचार्य का कहना है कि राकेश जैन ने प्रज्ञा दीदी से विवाह कर लिया है। उनके बीच 3 साल से प्रेम संबंध चल रहा था। हमने तो प्रज्ञा को आश्रम से जाने का कहा था। मुनि खुद ही भाग निकले। इस संबंध में सुद्धांत सागर से बात नहीं हो पाई। पता चला है कि वह मध्यप्रदेश से बाहर चले गए हैं।

मंगलवार शाम को बेलाग्राम में हुए पूरे विवाद पर आचार्य सिद्धांत सागर महाराज की ओर से कोई भी बयान जारी नहीं हुआ था। इसके बाद दैनिक भास्कर ने महाराज जी से फोन पर बात कर इस मामले को जानने की कोशिश की। बातचीत में उन्होंने सुद्धांत सागर के बारे में कई खुलासे किए हैं। इसके अलावा उस महिला के बारे में भी कई बातें कही हैं, जो प्रज्ञा दीदी के नाम से उनके यहां एक सप्ताह पहले रहने पहुंची थी।

महाराज ने बताया कि आश्रम के कुछ शिष्यों ने सुद्धांत सागर और प्रज्ञा दीदी के बीच कुछ संदिग्ध गतिविधियों की मुझे जानकारी दी थी। इसके बाद जब मैंने और जानकारी जुटाई तो उनके बारे में बहुत सी बातें पता चलीं। मैंने प्रज्ञा से आश्रम छोड़कर जाने के लिए कहा तो मुनि सुद्धांत सागर उस महिला के बचाव में आ गए। सुद्धांत गुस्से में खुद ही पिच्छीका और कमंडल छोड़कर वहां से भाग निकले। आचार्य ने बताया कि उसके बाद सुद्धांत ने थाने पहुंचकर मारपीट और अन्य झूठे आरोप लगाए।

पिता के कहने पर आश्रम में दी थी जगह
सिद्धांत सागर ने बताया कि करीब एक माह पहले मुनि सुद्धांत के पिता मुलायम चंद्र जैन उनके पास पहुंचे थे। उन्होंने कहा था कि उनका बेटा जो अभी शिखरजी में है। वह यहां पर चातुर्मास करना चाहता है। इसलिए उसे आश्रम में जगह दी जाए। इस बात पर आचार्य ने कहा कि आश्रम संतों के लिए ही है और वह कभी भी उनके आश्रम में आ सकते हैं। करीब एक माह से सुद्धांत उनके आश्रम में रहे रहे थे। एक सप्ताह पहले, एक महिला सुद्धांत सागर से अपना परिचय बताते हुए यहां पर आई थी। दीदी होने के कारण आचार्य ने प्रज्ञा दीदी को आश्रम में जगह दी, लेकिन जब उन दोनों के बीच के संबंधों की जानकारी हुई, तो सिद्धांत ने महिला को वहां से निकालने का प्रयास किया, इसके बाद से यह झूठा बवाल हो गया और झूठे आरोप लगाए गए।

२५ साल की मुनि दीक्षा के बाद अब विवाह के बाद नव दंपत्ति के वेष में दोनों

25 साल पहले तोड़ दिया था बेटे से नाता
सुद्धांत सागर उर्फ राकेश जैन के पिता मुलायम चंद्र जैन जो कि दमोह शहर के टंडन बगीचा क्षेत्र में रहते हैं। उन्होंने बताया कि 25 साल पहले 16 साल की उम्र में उनके बेटे ने गुरु दीक्षा ली थी और उसके बाद से उनका उनके बेटे से कोई संबंध नहीं रहा और ना ही उसके बाद से कभी कोई संपर्क हुआ है। मुलायम जैन ने बताया कि फिलहाल उन्हें यह जानकारी जरूर मिली है कि उनके बेटे ने किसी महिला के साथ गृहस्थ जीवन शुरू करने का निश्चय किया है। इसके अलावा उन्हें और कोई जानकारी नहीं है।

निंदा को लेकर बोले महाराज, भगवान श्री राम की भी हुई थी निंदा
सिद्धांत सागर महाराज ने कहा कि उन पर यह झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। लेकिन उन्हें इस बात का यकीन है कि वह सही हैं और इसलिए उन्हें किसी बात की कोई फिक्र नहीं है। वह जनता की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि वह अपने माता पिता की सेवा तो नहीं कर पाए, इसलिए उनका मानना है कि जीवन में वह लोगों की सेवा करें, यही उनका धर्म है और यही उनका कर्म है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में मूर्ति और मंदिर बनाने को विशेष महत्व दिया जाता है, लेकिन आचार्य मानते हैं कि इंसान की सेवा से बड़ी कोई पूजा या कोई धर्म नहीं होता।

सिद्धांत महाराज का मानना है कि भगवान श्रीराम की भी निंदा की गई थी, लेकिन यदि आप अच्छे कार्य करते हैं तो ईश्वर भी आपके साथ रहता है और उन्हें विश्वास है कि वह जो भी कर रहे हैं सही कर रहे हैं। उन्होंने सुद्धांत को निशाना बनाते हुए कहा कि वह आश्रम में गंदगी फैला कर चुपचाप भाग निकले हैं, जबकि उन्हें सच का सामना करना चाहिए था। इसके अलावा आचार्य ने कहा कि उनके पिता भी झूठ बोल रहे हैं कि उन्होंने 25 साल पहले अपने बेटे से संबंध समाप्त कर दिए थे, जबकि एक माह पहले, वही अपने बेटे को आश्रम में लेकर आए थे और मंगलवार को विवाद के दौरान हिंडोरिया थाने भी पहुंचे थे और वहां से अपने बेटे को कहीं लेकर गए थे।