बीसवी सदी के प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज का अनन्त उपकार
1948 में मुम्बई कोर्ट ने जैन मन्दिरो में हरिजन प्रवेश एवं सेवा पूजा का अधिकार दिया था, उसके खिलाप सकल जैन समाज ने आंदोलन किया तब आचार्य श्री यह घोर संकट पर संकट टलने तक( बिल निरस्त होने तक) अपने आहार में अन्न का त्याग कर दिया था।
1107 दिन( 3 वर्ष 12 दिन) तक अन्न का त्याग चला। और इस त्याग की धर्म पर विजय हुई। बिल निरस्त हुआ, सन् 1951 में वारामती (महा.) में रक्षाबंधन वाले महापर्व पर आचार्यश्री ने अन्न ग्रहण किया।
22 अगस्त, 2021 को रक्षाबंधन वाले दिन आप सभी बीसवी सदी के प्रथमाचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज की पूजा अर्चना कर उन्हें एक बार फिर जीवित करें उनके उपकारों को जीवित करे।