11वे तीर्थंकर श्री श्रेयांस नाथ भगवान जी श्रावण मास की पूर्णिमा, जिसे हम लोग रक्षा सूत्र के दिन से भी जानते हैं। इसी दिन पूर्वाहन काल में घनिष्ठा नक्षत्र में पावन अनादि निधन तीर्थ ,श्री सम्मेद शिखरजी की संकुल कूट से 1000 मुनियों के साथ मोक्ष पधारे ,जो इस वर्ष, रविवार, 22 अगस्त को है। आपके 65600 शिष्यों ने भी मोक्ष प्राप्त किया। इसी संकुल कूट से, 96 कोड़ाकोड़ी 96 करोड़ 96 लाख 9 हजार 542 मुनिराज भी सिद्ध भए हैं ।
कहते हैं ,इस टोंक की भाव सहित वंदना करने से एक करोड़ प्रषोध उपवास का फल मिलता है।
जहां इस दिन हमारे 11 वे तीर्थंकर मोक्ष पधारे और उसके करोड़ों वर्ष बाद , आज से हजारों वर्ष पहले दिल्ली के निकट हस्तीनापुर में 700 महामुनिराज के ऊपर, 7 दिन के लिए राजा बने बलि ने क्रूर अत्याचार कर, उन्हें यज्ञ की आहुति के रूप में, जिंदा जलाने की कोशिश की।
तब रिद्धि धारी मुनिराज श्री विष्णु जी ने ,अपनी वात्सल्य भावना से ,उन पर से उपसर्ग दूर किया और तब से रक्षा हेतु, रक्षा सूत्र बांधने की एक परंपरा शुरू हुई, जिसे वर्तमान में रक्षाबंधन भी कहा जाता है। ऐसे दो महान पर्व, इस वर्ष 22 अगस्त, रविवार को आ रहे हैं।