जैसे देश में राष्ट्रीय चेतना जागी, आजादी मिली, उसी तरह अपने अंदर आध्यात्मिक चेतना जगाईये, तो आत्मा को कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलेगी-मुनि श्री प्रमाण सागर

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अपने अंदर आध्यात्मिक चेतना जगाइये
आत्मा को कर्म बंधन से मक्ति मिलेगी’
पूजा भगवान पार्श्वनाथ की और
आदर्श कमठ का अपनाते हैं – मुनि श्री प्रमाण सागर

गुणायतन (सम्मेदशिखरजी)। मोक्ष सप्तमी पर मुनि श्री प्रमाण सागरजी महाराज ने स्वर्णभद्र कूट पर अभिषेक-पूजन से पूर्व कहा कि यदि तुम्हें अपने परम निर्वाण को प्राप्त करना है तो सबसे पहले अपने आपको जानो, समता को पाओ। बिना समता के मोक्ष संभव नहीं। आप कहते हो पंचम काल में मोक्ष संभव नहीं, तो फिर क्या जरूरत है मोक्ष मार्ग पर चलने की। अरे, पंचम काल में संसार से मुक्ति भले ही न मिले लेकिन संसारिकता से तो मुक्ति पा सकते हो।

चार चीजों – दोष, दुर्बलता, दुर्गण और दुखों से मुक्ति तो पा सकते हो। अपना स्वरूप जानो। तुमने जो अपने को मान रखा है, वह तुम्हारा नहीं है। तुम आत्मा हो, जिसे कमों के बंधनों से मुक्त कर पवित्र बनाना है। जैसे देश में राष्ट्रीय चेतना जागी, आजादी मिली, उसी तरह अपने अंदर आध्यात्मिक चेतना जगाईये, तो आत्मा को कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलेगी।

बातें तो हम आज मोक्ष की करते हैं लेकिन मोक्ष मार्ग पर चलते नहीं। भले ही धीरे चलो, पर मोक्ष मार्ग पर चलो, तभी भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक आज मनाना सार्थक होगा।
मुक्ति का जीवन में संकल्प जगाईये और भगवान पार्श्वनाथ के जीवन को आत्मसात कीजिए। हम पूजा भगवान पार्श्वनाथ की करते हैं और आदर्श कमठ का अपनाते हैं।

(15 अगस्त के प्रवचन से)