पालीताना जैन तीर्थ के संदर्भ में गुजरात हाईकोर्ट ने दिया आज ऐतिहासिक फैसला
• 19 अगस्त 2021, गुरुवार.
• गुजरात हाईकोर्ट की डबल बेंच न्यायाधीश श्रीमान् विनीतजी कोठारी और श्रीमान् उमेशभाई त्रिवेदी ने पालिताना शत्रुंजय जैन तीर्थ के संबंध में 200 पृष्ठों के निर्णय में आज एक ऐतिहासिक फैसला दिया.
• विश्व हिन्दू परिषद द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पालिताना तीर्थ जैन समाज के लिए सबसे अधिक पूजनीय और आस्था का परम केन्द्र हैं !
• वहां पर्वत पर परकोटे की सीमा में पूर्वकाल में जैन समाज द्वारा बनाए हुए महादेव मंदिर के पूजारी की नियुक्ति राज्य सरकार सेठ आणंदजी कल्याणजी जैन पेढ़ी की स्वीकृती से ही कर सकती है. ताकि जैन तीर्थ की कोई आशातना न हो और जैन समाज की भावनाएं आहत न हों.
• कालू भारती विठ्ठल भारती नामक एक व्यक्ति इस महादेव मंदिर पर कब्जा कर उसका महंत या पूजारी बनने के लिये भरसक प्रयास कर रहा था.
• वह रात्रि में वहीं पर रुकने की चेष्टा कर रहा था. ताकि वहां नया अतिक्रमण कर नए निर्माणों के द्वारा इस जैन तीर्थ को साम्प्रदायिक विवाद का रूप दिया जा सके !
• उसके मंसूबों पर पानी फेरते हुए हाईकोर्ट ने उसकी प्रार्थना सीरे से खारिज़ कर दी और कहा कि विश्व हिन्दू परिषद को उसके लिए हाईकोर्ट में इस प्रकार जनहित याचिका लगाना उचित नहीं है !
• हाईकोर्ट ने कहा कि जैन समाज के लिए पालिताना तीर्थ के अत्यंत महत्व को देखते हुए वहां किसी प्रकार का अन्य निर्माण ट्रस्ट (सेठ आणंदजी कल्याणजी जैन पेढ़ी) की इजाज़त के बिना नहीं किया जा सकता और यदि वहां कोई अतिक्रमण किया गया है तो उसे राज्य सरकार तुरंत प्रभाव से हटायें !
• न्यायालय ने मुगल साम्राज्य के समय अकबर और अन्य बादशाहों द्वारा जैन समाज के सेठ शांतिदास झवेरी को दिये गए फरमानों को उदृत करते हुए कहा कि मुगल काल में ही गुजरात के पालीताना शत्रुंजय और जूनागढ़ गिरनार तथा बंगाल के सम्मेतशिखर तीर्थ के पहाड़ जैन समाज को प्रदान किये गये थे.
• न्यायालय ने ब्रिटिश काल के विपत्रों का हवाला देते हुए 1877 और 1928 के करारों को भी उदृत किया और कहा कि यह फैसला सभी पक्षों के लिए बाध्यकर्ता है !
• देर-सवेर ही सही, सत्य की जीत हुई है. जैन समाज को न्याय मिला है. अब राज्य सरकार और प्रशासनिक अधिकारी इस फैसले पर शीघ्र अमल करें, यही अपेक्षित है