पूर्वजों ने #स्वतंत्रता_सेनानी बनकर देश को #आजाद कराने में योगदान दिया, संतानों ने जैन धर्म की ध्वजा संस्कारों सिद्धांतों को विस्तारित किया

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स्वतंत्र भारत की स्वाधीनता का 75 वा हीरक वर्ष है
देश के स्वाभिमान के लिए लाखों व्यक्तियों ने तन मन धन से सभी वर्गों के अनुयायियों ने देश को आजाद कराने में प्राणों की आहुति दी है
अंग्रेजों के जुल्म सहे हैं जेलों में बंद रहे हैं
अहिंसा परमो धर्म के हजारों अनुयाई भी इस पुनीत पावन नेक कार्य अभियान आंदोलन से अछूते नहीं रहे हैं
धर्म और देश एक दूसरे के पूरक हैं धर्म ही दिशा निर्देश देते हैं

मध्य प्रदेश निमाड़ मालवा के अनेक जनों ने पराधीन भारत को स्वतंत्र कराने में अविस्मरणीय अनुकरणीय सराहनीय प्रशंसनीय योगदान दिया है
महत्वपूर्ण विशेषता यही है कि जहां पूर्वजों ने स्वतंत्रता सेनानी बनकर देश को आजाद कराने में योगदान दिया है वही उनके संतानों ने जैन धर्म की ध्वजा संस्कारों सिद्धांतों को विस्तारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
आज हम प्रतीकात्मक कुछ परिवारों को स्मरण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए नमन करते हैं
श्रेष्ठी श्री पदम चंद जी के पुत्र श्री मन्ना लाल जी पंचोलिया का जन्म सन 1 896 को सनावद में हुआ
आजादी के लिए आंदोलन में भाग लेने के 1942 में 7 वर्ष की जेल हुई आपके पुत्र श्री चितरंजन पंचोलिया को तथा भाई श्री पन्ना लाल जी को भी जेल हुई
सनावद के ही श्री कुबेर चंद जी पंचोलिया को भी गिरफ्तार कर चेतावनी देकर छोड़ दिया

धार्मिक रूप से देखा जाए तो पंचोलीया परिवार के छह सदस्य दिगंबर मुनि आर्यिका माताजी पद को सुशोभित कर रहे हैं

जिसमें प्रमुख रुप से पंचम पट्टा धीश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी पूज्य मुनि श्री चारित्र सागर जी पूज्य मुनि श्री श्रेष्ठ सागर जी पूज्य क्षुल्लक श्री मोती सागर जी आर्यिका श्री सुदृढ़ मति माताजी तथा आर्यिका श्री महायश मति माताजी प्रमुख है
आदरणीय श्री कमल चंद जी का जन्म खंडवा जिले के ग्राम भेरू खेड़ा में श्रीमती गेंदा बाई श्री चंपालाल जी के यहां 4 नवंबर 1 916 को हुआ आपने एम ए एल एल बी का अध्ययन किया स्वतंत्रता की लड़ाई में आपको 7 वर्ष की जेल भी हुई
जब आप जेल में बंद रहे तब भी जैन सिद्धान्तों का पालन किया
आप सत्यवादी रहे हैं इस कारण आप ने वकालत नहीं की क्योंकि उसमें झूठ भी बोलना होता
आप की मृत्यु 12 मई 2010 को हुई

आपकी संस्कारित पुत्री कुमारी उषा जैन का जन्म 11 मार्च 1951 को सनावद में हुआ
आप भारतीय स्टेट बैंक में ब्रांच मैनेजर पद से रिजाइन त्यागपत्र देकर आपने 14 अक्टूबर 2016 को सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकुट में वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी से आर्यिका दीक्षा ग्रहण की आपका नाम करण आर्यिका देशना मति माताजी हुआ
आप के घर पर दिगंबर जैन चैत्यालय भी है

श्री मांगीलाल जी पाटनी का जन्म सन 1906 में हुआ सन 1917 में आप आपके चाचा श्री ऋषभ चंद जी पांड्या के यहां सनावद रहने आ गए

आपको सन 1942 में 14 माह की जेल तथा 7 वर्षों की इंदौर जेल भी हुई

आप के संस्कारों से विभूषित आपके पुत्र श्री रतन लाल पाटनी ने भी अंतिम समय में दिगंबर मुनि दीक्षा धारण कर मुनि श्री सुहित सागर जी बने

आप की चाची श्रीमती कमलाबाई जी पांड्या ने भी दीक्षा लेकर आर्यिकाश्री तपस्वनी मति माताजी बनी

स्वत्रंत्रता सेनानी श्री फकीर चंद जी जैन का जन्म 19 अप्रैल 1923 को सनावद में हुआ
स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने के कारण कुछ माह मंडलेश्वर जेल भी रहे

आपकी मृत्यु 13 मई 1986 को हुई आपके पुत्र श्री राजेंद्र जैन ने आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से
दिगंबर जैन मुनि दीक्षा धारण कर पूज्य मुनि श्री अपूर्व सागर जी बने

श्री मया चंद जी जटाले का जन्म श्री रतनलाल जी जटाले के यहां 21 दिसंबर 1915 को हुआ
सन 1942 में आपको गिरफ्तार किया गया 14 माह की जेल हुई इसके बाद मंडलेश्वर जेल 2 अक्टूम्बर को तोड़ने के आरोप में आप को 7 वर्ष की कैद हुई

आप का निधन 13 दिसंबर 1988 को हुआ आप अविवाहित रहे आपके पड़पोते श्री नमन ने आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया
सनावद जैन समाज के श्री सुमेर चंद जी जैन को 7 वर्ष की सजा
श्री रूपचंद जी पाटनी तथा श्री सुमेर चंद जी जटाले को भी गिरफ्तार कर रिहा कर दिया

यह मात्र कुछ उदाहरण है कि देश भक्ति के साथ संतानो ने धर्म प्रचार में अपना जीवन समर्पित किया
राजेश पंचोलिया इंदौर