डॉ चयनिका जमशेदपुर में कदमा थाना के अशोक पथ स्थित मारिया अपार्टमेंट के सी 2 फ्लैट की रहनेवाली थी। वह माता-पिता की इकलौती संतान थी। अपनी मौत के 10 दिन पहले उसने अपने प्रेमी डॉक्टर रफीक मिर्जा हक के साथ ही जन्मदिन मनाया था।
जरा इस घटना पर गौर करें, यहां पर जिस लड़की की हत्या हुई वो डॉक्टर, जिसने हत्या की वो भी डॉक्टर।
जैन -हिंदुओं को अपने बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ जैन -हिन्दू-मुस्लिम का फर्क भी बताना आवश्यक है, अक्सर हॉस्टल में रहने वाली, या बाहर जाकर पढ़ाई या जॉब करने वाली लड़कियां / महिलाएं इस चंगुल में फंसती हैं, खासकर आपको नव युवा लड़कियों की संख्या इसमे 10 में से 9 मिलेगी।
मृतक चयनिका कुमारी डॉक्टरी की पढ़ाई करने गई थी, वहीं साथ के मुस्लिम लड़के से दोस्ती हुई, दोनों पढ़े-लिखे थे, अपने डिसिजन खुद ले सकते थे, लड़की के घरवलों ने यह सोचकर शादी करवा दी होगी।
प्यार,अपनापन केवल लड़कियों को अपने चंगुल में फंसाने का एक हथियार मात्र है, यह लाख पढ़-लिखकर डॉक्टर-इंजीनियर बन जाएं, लेकिन जिहादी मानसिकता इनके दिमाग से कभी नही जाती
पीएचडी करने के बाद भी जो 7वें आसमान और 72 हूरों में विश्वास रखता हो, उससे आप क्या उम्मीद कर सकते हैं? बस यही कारण था कि रफीक चयनिका पर पर इस्लाम कुबूल करने का दबाव डालता था, क्योंकि ऐसा करने से उसकी नेकियाँ बढ़ जाती और उसे अल्लाह का दूत कहा जाता, कि उसने एक काफ़िर(गैर मुस्लिम) को दीन की राह पर मोड़ दिया,
पर जब उस काफ़िर ने ऐसा करने से इंकार किया था उस लड़के ने उसी दीन का अनुसरण करते हुए उसकी हत्या कर दी, क्योंकि आसमानी किताब के अनुसार यदि कोई गैर-मुस्लिम इस्लाम की शरण मे आने से मना करे तो उसका क़त्ल जायज़ है, और वो कोई भी ईमानवाला कर सकता है, उसका गुनाह नही लगेगा।
जैन- हिन्दू परिजनों को ये बातें अपनी बेटियों को समझानी होंगी, नहीं तो ऐसी ही कोई खबर हमारे लिए दुखदायी बन सकती है, पर तब तक तो देर बहुत हो चुकेगी, जागिये, सावधान रहिये